प्रदेश में फिर सुनाई देने लगी सियासी संग्राम की आहट

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The sound of political struggle started to be heard again in the state

कुमार विश्वास की पत्नी की नियुक्ति से नाराज कांंग्रेस के कई नेता

जयपुर से दिल्ली तक फिर सक्रिय हुए पायलट समर्थक विधायक

बीकानेर। प्रदेश कांग्रेस में एक बार फिर सियासी संग्राम की आहट सुनाई देने लगी है। अशोक गहलोत सरकार में खुद की सुनवाई नहीं होने से नाराज सचिन पायलट समर्थक विधायकों ने एक बार फिर पार्टी आलाकमान तक दस्तक दी है। ये विधायक जयपुर से दिल्ली के बीच सक्रिय हैं।

राजनीतिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पायलट खेमे के आधा दर्जन विधायकों ने पिछले छह दिनों में दिल्ली जाकर कांग्रेस के राष्ट्रीय नेताओं से मुलाकात कर गहलोत सरकार के कामकाज के तौर-तरीकों पर नाराजगी जताई है। पिछले सप्ताह राज्य लोकसेवा आयोग में हुई नियुक्तियों व निर्वाचन क्षेत्रों में विकास कार्यों में अपनाए जा रहे भेदभाव के मुद्दों को लेकर विधायकों ने केंद्रीय नेताओं से मुलाकात की है।
पायलट समर्थक विधायक कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और प्रदेश प्रभारी अजय माकन के कामकाज के तरीकों से भी नाखुश है। करीब तीन माह पहले पायलट की बगावत का खत्म करते समय यह तय हुआ था कि माकन लगातार विधायकों व पार्टी नेताओं के संपर्क में रहकर उनकी समस्याओं का निपटारा करेंगे।

गहलोत व पायलट के बीच सहमति के आधार पर ही माकन के माध्यम से आलाकमान राजनीतिक नियुक्तियों को हरी झंडी देगा। लेकिन गहलोत ने पायलट को विश्वास में लिया बिना ही राज्य लोकसभा आयोग में चेयरमैन व चार सदस्यों की नियुक्ति कर दी। कवि कुमार विश्वास की पत्नी मंजू शर्मा को आयोग में सदस्य बनाये जाने से कांग्रेसियों में ज्यादा नाराजगी है।

बताया जा रहा है कि पूर्व विधायक भीमराज भाटी ने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी व पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को पत्र लिखकर मंजू शर्मा की नियुक्ति पर आपत्ति जताई है। भाटी ने पत्र में लिखा कि देश में पहली बार राहुल गांधी को ‘पप्पू’ कुमार विश्वास ने ही कहा था। उन्होंने कहा कि कुमार विश्वास की पत्नी मुख्यमंत्री की माली जाति से ही आती हैए, इस कारण उन्हे राज्य लोकसेवा आयोग का सदस्य बनाया गया है।

निपटारा करने वाली कमेटी नहीं हुई सक्रिय

राजनीतिक सूत्रों के अनुसार पायलट समर्थक पूर्व मंत्री विश्वेंद्र सिंह, रमेश मीणा, विधायक मुरारीलाल मीणा, राकेश पारीक, पीआर मीणा व वेदप्रकाश सोलंकी ने कांग्रेस के केंद्रीय नेताओं तक यह बात पहुंचाई है कि आलाकमान द्वारा तय की गई गाइडलाइन की सरकार में पालना नहीं हो रही है। करीब तीन माह पहले पायलट की बगावत थामते समय राहुल गांधी व कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने पार्टी के कोषाध्यक्ष अहमद पटेल, संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल व अजय माकन की कमेटी बनाई थी। तय किया गया था कि यह कमेटी गहलोत व पायलट के बीच मध्यस्था करते हुए विवादास्पद विषयों का निपटारा करेगी। यह भी तय हुआ था कि इस कमेटी की अनुशंसा के बाद ही राजनीतिक नियुक्तियां होगी।

पायलट समर्थकों का कहना है कि कमेटी ने अब तक विवादास्पद मुद्दों का निपटारा करने को लेकर कोई पहल नहीं की है। गहलोत ने अपने स्तर पर नियुक्तियां शुरू करने के साथ ही नगर निगम चुनाव में टिकट वितरण के काम से भी पायलट और उनके समर्थकों को दूर रखा है। पायलट समर्थक विधायकों का कहना है कि तबादलों में उनकी डिजायर को प्राथमिकता नहीं दी जा रही,जबकि गहलोत के विश्वस्त विधायकों की अनुशंसा पर तत्काल सरकारी कर्मचारियों के तबादले हो रहे हैं। राजनीतिक पंडित अभी हालातों पर नजर जमाएं बैठे हैं, उनका मानना है कि ये विवाद एक बार फिर से तूल पकड़ेगा और प्रदेश की राजनीति में बदलाव की बयार बहना भी संभव है।

#Kamal kant sharma/Bhawani joshi www.newsfastweb.com

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