इस फार्मूले के तहत गुजरात चुनाव में कई दिग्गज नेताओं को बैठना पड़ा घर
प्रदेश के सियासी गलियारों में बीजेपी के कई वरिष्ठ नेता दबी जुबान में करने लगे चर्चा
#KAMAL KANT SHARMA/ BHAWNI JOSHI www.newsfastweb.com
बीकानेर। पिछले दिनों पड़ौसी राज्य गुजरात में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी द्वारा लागू किए गए फॉर्मूले से राजस्थान के कई वरिष्ठ नेताओं की नींद उड़ी हुई है। इस फार्मूले के तहत गुजरात चुनाव में कई दिग्गज नेताओं को घर बैठने को कह दिया गया था जबकि नए चेहरों को चुनाव लडऩे का मौका दिया गया था।
गुजरात विधानसभा चुनाव में इस फॉर्मूले पर बीजेपी को अच्छा रिस्पांस मिला और बीजेपी ने अब तक की सबसे बड़ी जीत दर्ज की। इस अभूतपुर्व सफलता के बाद राजस्थान के राजनीतिक गलियारों में चर्चा अब इसी गुजरात फॉर्मूले पर केंद्रित हो गई है और कई वरिष्ठ नेता दबी जुबान में इस पर चर्चा करते बताए जा रहे हैं।
राजनीतिक सूत्रों के अनुसार अगर यहां गुजरात फॉर्मूला अपनाया जाता है तो यह कई वरिष्ठ नेताओं के लिए विनाशकारी साबित हो सकता है। पार्टी गुजरात मॉडल को राजस्थान में भी अपनाना चाहती है और नए चेहरों को मौका देना चाहती है। दरअसल, गुजरात चुनाव ने साफ कर दिया है कि 10 हजार वोटों से हारने वाले नए नेताओं और 20 हजार से ज्यादा वोटों से हारने वाले पुराने नेताओं को ही मुकाबले से बाहर रखा जा सकता है। इस आधार पर कई मौजूदा विधायक, पूर्व नेता जो राज्य में मंत्री थे, उन्हें भी उनके खराब प्रदर्शन के आधार पर नजरअंदाज किया जा सकता है।
सूत्रों ने यह भी बताया कि राजस्थान में बीजेपी अपने ‘पन्ना’ मॉडल को मजबूत करने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रही है। पार्टी पदाधिकारियों ने बताया कि 52 हजार में से 47 हजार बूथों पर काम हो चुका है और इसलिए यह स्पष्ट है कि पार्टी हारने वालों को दोहराकर कोई मौका लेने के मूड में नजर नहीं आ रही है। नए चेहरों को अपनी काबिलियत साबित करने का मौका दिया जाएगा और पार्टी उनका समर्थन करेगी। यह जीत का फार्मूला है जिसका पालन गुजरात और पिछले कर्नाटक चुनावों में किया गया और प्रभावशाली नतीजे देखने को मिले हैं।