कार्मिक विभाग ने तीसरी बार जारी किया परिपत्र, तीस हजार से ज्यादा राजपत्रित अधिकारी नहीं दे रहे हैं जानकारी
बीकानेर। प्रदेश में कार्यरत अफसर अपनी अचल संपत्ति छिपाने में लगे हुए हैं। कार्मिक विभाग की ओर से बार-बार परिपत्र जारी किए जाने के बाद भी प्रदेश में तीस हजार से ज्यादा राजपत्रित अधिकारी ऐसे हैं जो अपनी संपत्ति का ब्यौरा सरकार को नहीं देना चाह रहे हैं।
सूत्रों से न्यूजफास्ट वेब को मिली जानकारी के मुताबिक कार्मिक विभाग ने इन राजपत्रित अफसरों को अब फिर से अपनी अचल संपत्ति का ब्यौरा सरकार को देने के लिए 30 जून तक का वक्त दिया है। हालांकि कार्मिक विभाग अफसरों के दबाव में ब्यौरा नहीं देने वाले अफसरों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर पा रहा है। बार-बार अचल संपत्ति का ब्यौरा देने के लिए तारीख बढ़ाए जाने के बाद सवाल उठाए जा रहे हैं कि आखिर राजपत्रित अधिकारी क्यों अपनी अचल संपत्ति का ब्यौरा नहीं देना चाहते हैं।
राज्य सरकार के निर्देश पर कार्मिक विभाग ने इसी वर्ष की एक जनवरी को प्रदेश के तकरीबन 80 हजार राजपत्रित अधिकारियों को परिपत्र जारी कर अपनी अचल संपत्ति का ब्यौरा देने के निर्देश दिए थे, लेकिन राजपत्रित अधिकारियों ने अचल संपत्ति का ब्यौरा सरकार को नहीं दिया था तब कार्मिक विभाग ने ब्यौरा देने के लिए फिर से तारीख अप्रेल तक बढ़ा दी थी।
अब अफसरों को दिया गया है 30 जून तक का मौका
अप्रेल तक भी तीस हजार से ज्यादा राजपत्रित अधिकारियों ने अपनी अचल संपत्ति का ब्यौरा सरकार को नहीं दिया है। अब कार्मिक विभाग ने अंतिम बार राजपत्रित अधिकारियों को आखिरी मौका दिया है। परिपत्र में कार्मिक विभाग ने अचल संपत्ति का ब्यौरा देने के लिए 30 जून तक का मौका फिर से दे दिया है। 30 जून तक अचल संपत्ति का ब्यौरा नहीं देने वाले राजपत्रित अधिकारियों को जुलाई महीने में होने वाली वेतन वृद्धि और पदोन्नति रोकने की कार्रवाई विभाग करेगा।
केन्द्रीय कार्मिक मंत्रालय ने बनाया है नियम
अखिल भारतीय सेवाएं और राज्य सेवाएं वर्गीकरण नियमों के तहत प्रत्येक लोकसेवक को सालाना अपनी अचल संपत्ति का ब्यौरा देना जरूरी होता है। केन्द्रीय कार्मिक मंत्रालय ने इस नियम को कठोरता से लागू किया है। जब तक आईएएस अधिकारी अपनी अचल संपत्ति का सालाना ब्यौरा नहीं देते हैं तब तक उनकी पदोन्नति के लिए विजिलेंस क्लीयरेन्स नहीं मिलती है।
पदोन्नति अटकने के डर से आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अफसर अपनी संपत्ति का ब्यौरा सालाना देते हैं, लेकिन राज्य सेवा के अधिकारी इसमें ढिलाई बरतते हैं। सरकार पदोन्नति रोकने और वेतन वृद्धि रोकने की कार्रवाई भी करती है, लेकिन राज्य सेवा के अधिकारी इसके प्रति गंभीर नहीं हैं।