कमाई का जरिया बन गया है, करोड़ों रूपए हो चुके हैं खर्च
बीकानेर। सौन्दर्यीकरण के नाम पर सूरसागर प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के लिए कमाई का जरिया बन गया है। हर वर्ष इसके सौन्दर्यीकरण के लिए लाखों रूपए खर्च किए जाते रहे हैं। हैरानी की बात है कि प्रशासनिक अधिकारी और जनप्रतिनिधि इसके सौन्दर्य को स्थाई नहीं रखे जाने के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति ही नहीं दिखा रहे हैं।
पिछले दिनों सूरसागर की दयनीय हालात को देेखकर सत्तारूढ़ दल के नेताओं ने इसकी दशा सुधारने के निर्देश दिए थे। जिसके बाद नगर विकास न्यास हरकत में आया और सूरसागर की सफाई के आदेश जारी कर दिए। अभी जो सूरसागर में सफाई का कार्य किया जा रहा है, उसकी जमीनी हकीकत बिल्कुल अलग है। सूरसागर में पड़े सूखे कचरे को एकत्र कर उसकी ढेरियां बनाई गई और अब उसी सूखे कचरे को अन्दर पड़ी मिट्टी में दबाकर समतल किया जा रहा है। इसे कहते हैं सरकारी काम, न तो एक थैला कचरा बाहर निकाला गया और ना ही बाहर से साफ मिट्टी अन्दर बिछवाई गई, लेकिन लाखों की कमाई जरूर हो गई। इस वीडियो में प्रशासन की पोल खुलती देखी जा सकती है।
गौरतलब है कि शहरवासियों के लिए नासूर बन चुके सूरसागर का सौन्दर्यीकरण कार्य वर्ष-2008 में तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने शुरू करवाया था। 6 करोड़ रूपए की लागत से सूरसागर को उसके पुराने वैभव में लाकर 14 अगस्त, 2008 को इसका उद्घाटन मुख्यमंत्री ने स्वयं किया था। इसके बाद बोटिंग करवाने और उसके रखरखाव के लिए नगर विकास न्यास ने सूरसागर को ठेके पर दे दिया। कुछ दिनों बाद ही बोटिंग आदि बंद हो गए।
इसके बाद वर्ष-2013 में सूरसागर झील की फिर से दुर्दशा हो गई, उस दौरान प्रदेश में कांग्रेस की सरकार सत्ता में थी और अशोक गहलोत मुख्यमंत्री थे। तब फिर से इसके सौन्दर्य को वापस लाने के लिए विकास कार्य शुरू किया गया और डेढ़ करोड़ रूपए खर्च किए गए। 18 जून, 2013 को राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ. बीडी कल्ला और नगर विकास न्यास के तत्कालीन अध्यक्ष मकसूद अहमद ने इसे दोबारा लोकार्पित किया। जुलाई, वर्ष, 2018 में शहर में हुई भयंकर बारिश के दौरान सूरसागर बरसाती पानी से लबालब भर गया था। तब नगर विकास न्यास के तत्कालीन अध्यक्ष महावीर रांका ने मात्र 15 दिनों में लाखों रुपए लगा कर इसे फिर से सही करवाया।
जनता के पैसे को किस तकनीक से अपने घर ले जाया जा सकता है, यह सूरसागर के सौन्दर्यीकरण के लिए हर वर्ष होते विकास कार्य को देखकर जाना जा सकता है। हैरानी की बात तो यह है कि इस समस्या के स्थाई समाधान के लिए न तो किसी जनप्रतिनिधि को और न ही किसी प्रशासनिक अधिकारी को प्रयास करते देखा गया है।
Kamal kant sharma and Bhawani joshi newsfastweb.com