राजनीति में अटकी पुलिस भर्तीयां, प्रदेश में चरम पर पहुंचे अपराध

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पुलिस

13 हजार पुलिसकर्मियों की कमी, नई भर्ती का मसौदा तैयार

बीकानेर। प्रदेश में तेजी से बढ़ रहे अपराधों की रोकथाम के लिए पुलिस कर्मियों की नफरी कम है। इसको पूरा करने के लिए अब सरकार सात हजार से ज्यादा पुलिस कर्मियों की भर्ती की तैयारी कर रही है। इस बारे में गृह विभाग ने पुलिस मुख्यालय से जानकारी ली है।

न्यूजफास्ट वेब को मिली जानकारी के मुताबिक तीस जून को सेवानिवृत हुए डीजीपी कपिल गर्ग ने इस भर्ती का पूरा मसौदा तैयार कर गृह विभाग को भेजा था। हालांकि ऐसे कई उदाहरण हमारे सामने हैं जब ये भर्तियां राजनीतिक कारणों से अटकी हैं। लेकिन इस बार माना जा रहा है कि पुलिसकर्मियों की भर्ती सकुशल संपन्न होगी और उन्हें पोस्टिंग भी इसी सरकार के कार्यकाल में मिल सकेगी। newsfastweb.com

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तेजी से बढ़ रहे अपराध

प्रदेश में अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं। पूर्व डीजीपी के कुछ नवाचारों का असर भी है कि अब प्रदेश के थानों में लगभग हर अपराध दर्ज होने के दावे किए जा रहे हैं। यही कारण है कि इस साल शुरुआती छह महीनों के भीतर ही प्रदेश के पुलिस थानों में एक लाख से भी ज्यादा अपराधों के मामले दर्ज हो चुके हैं। थानों में तैनात इंस्पेक्टर से लेकर एएसआई पर ही इन अपराधों की जांच का ज्यादा से ज्यादा जिम्मा है। अपराध बढऩे के साथ ही अब सरकार प्रदेश के बड़े थाना क्षेत्रों के इलाकों की समीक्षा भी कराने की तैयारी कर रही है। दो सौ से ज्यादा थानों की समीक्षा की जानी है।

तेरह हजार किए भर्ती, पोस्टिंग नहीं

पिछली भाजपा सरकार ने अपने कार्यकाल में तेरह हजार से भी ज्यादा सिपाहियों की भर्ती की है। पहली बार तो भर्ती नकल गिरोह के हत्थे चढ़ गई। उसके बाद जब भर्ती दूसरी बार की गई तो इसको अभी तक पूरा भी नहीं किया गया है। पुलिसकर्मियों को अभी तक पोस्टिंग नहीं दी गई है। newsfastweb.com

ये बताई जा रही है मुख्य समस्या

विभागीय सूत्रों से न्यूजफास्ट वेब को मिली जानकारी के मुताबिक भर्तियां भी राजनीति का शिकार हो रही हैं। सरकारें अपने पहले या दूसरे बजट में हजारों की संख्या में भर्तियां निकालती हैं और ऐसा अपना कार्यकाल पूरा होने के ठीक पहले करती हैं। यही कारण है कि समय पर थानों को स्टाफ नहीं मिल पाता और अपराधों पर लगाम नहीं लग पाती।

अभी ये है नफरी

जानकारी के अनुसार प्रदेश में वर्तमान में एक लाख से भी ज्यादा पुलिसकर्मियों की नफरी है। जानकारी के मुताबिक इनमें 1357 इंस्पेक्टर्स, 4601 एसआई, 6099 एएसआई, 14096 हैड कांस्टेबल और 80895 सिपाही शामिल हैं। लेकिन इनमें अभी भी करीब 15 प्रतिशत पुलिसकर्मियों की कमी बनी हुई बताई जा रही है। थानों में दर्ज होने वाले अस्सी फीसदी से ज्यादा कैसेज की जांच इंस्पेक्टर से लेकर एसआई स्तर के अधिकारी करते हैं। इनकी संख्या सिर्फ 12057 ही है, जो बेहद कम है। यही कारण है कि एक-एक एसआई और एएसआई के पास चालीस-चालीस केसेज का भार है। ऐसे में कई बार केसेज में सही तरीके से जांच नहीं हो पाती और अपराधी को बच निकलने की राह मिल जाती है।

Kamal kant shrma bikaner

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