हादसों की वजह में शामिल है ड्रंक एंड ड्राइव
ब्रेथ ऐनेलाइजर से नियमित हो वाहन चालकों की सांसों की जांच
#KAMAL KANT SHARMA / BHAWANI JOSHI www.newsfastweb.com
बीकानेर। पुलिस की ओर से हेलमेट चैकिंग अभियान तो आए दिन चलाया जाता है लेकिन नशा करके वाहन चलाने वालों (ड्रंक एंड ड्राइव) की चैकिंग के लिए पिछले कई वर्षों से अभियान नहीं चलाया गया है। जिसकी वजह से लोग बिना खौफ खाए नशा करके वाहन चलाते नजर आए हैं। अगर पुलिस नियमित रूप से बे्रथ ऐनेलाइजर से वाहन चालकों की सांसों की जांच करे तो निश्चित रूप से हादसों में कमी आ सकेगी।
जानकारी के मुताबिक संभाग के चारों जिलों में रेंज पुलिस महानिरीक्षक (आइजी) ओमप्रकाश के निर्देशानुसार कल यानि 20 जून से पुलिस की ओर से विशेष अभियान चलाया जाने वाला है। इस अभियान के तहत दोपहिया वाहन चालकों के हेलमेट की जांच होगी। साथ ही चार पहिया वाहनों में लगे शीशों पर काली शीट की भी जांच की जाएगी। पुलिस महानिरीक्षक के विशेष निर्देश हैं कि इस बार किसी की सिफारिश नहीं चलेगी, यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। ऐसे में अगर कोई रसूखदार किसी की सिफारिश करेगा तो वाहन चालक से दुगनी राशि में जुर्माना वसूला जाएगा।
बदहाल यातायात व्यवस्था को सुचारू करने और सड़क हादसों में कमी लाने के लिए पुलिस के ये प्रयास सराहनीय समझे जाने वाले हैं लेकिन शाम होने के बाद नशा करके वाहन चलाने वालों पर भी तो पुलिस को ध्यान देना चाहिए। बहुत बार बहुत से लोगों ने देखा है कि वाहन चालक नशा करके (ड्रंक एंड ड्राइव) वाहन चलाते हैं, विशेष रूप से अंधेरा होने के बाद और रात तक सड़कों पर नशा करके वाहन चलाए जाते हैं। ऐसे में अगर पुलिस ब्रेथ ऐनेलाइजर से वाहन चालकों की सांसों की जांच करे तो हालात और हादसों की प्रमुख वजह सामने आ जाएगी।
जागरूक लोगों के अनुसार कई लोग तो अपनी कारों और जीपों में ही बैठकर वाहन चलाते हुए नशा करते देखे गए हैं। वाहन चलाते समय नशा करने का महानगरों का चलन अब छोटे शहरों में भी पहुंच चुका है। ऐसे में पुलिस अगर जरा भी इस ओर ध्यान दे तो निश्चित रूप से ड्रंक एंड ड्राइव में कमी आ सकेगी।
कई वर्ष पहले चलाया गया था ये अभियान
जानकारी के मुताबिक कई वर्ष पहले पुलिस की ओर से वाहन चालकों की सांसों को जांचने का अभियान चलाया गया था। इस अभियान के दौरान नशा करके वाहन चलाने वालों में पुलिस का खौफ बैठा और हादसों में कमी आना सामने आया था। लेकिन नियमित रूप से इस प्रकार के अभियानों को नहीं चलाए जाने से लोगों में लापरवाही बढ़ जाती है और वे वापिस से जानलेवा गलतियां करने लगते हैं।