30 अप्रेल मध्यरात्रि सवा बारह बजे से होगा शुरू
हमारे देश में नहीं माना जाएगा इस ग्रहण का धार्मिक प्रभाव
बीकानेर। साल का पहला सूर्य ग्रहण कल यानी 30 अप्रेल की मध्यरात्रि को लगने वाला है। ये सूर्यग्रहण
भारत में नहीं देखा जाएगा। इसलिए इस ग्रहण का धार्मिक प्रभाव हमारे देश में नहीं माना जाएगा। इस साल का दूसरा ग्रहण 25 अक्टूबर को लगेगा।
विषय विशेषज्ञों के अनुसार ग्रहण को वैदिक ज्योतिष में काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार ये ग्रहण वैशाख मास की अमावस्या तिथि को घटित होगा। नासा के अनुसार, 30 अप्रेल कोग्रहण के दौरान सूर्य की बिम्ब का 64 प्रतिशत हिस्सा चंद्रमा से अवरुद्ध हो जाएगा।
साल का पहला सूर्य ग्रहण भारतीय समय के अनुसार 30 अप्रेल की मध्यरात्रि यानि रात 12 बजकर 15 मिनट से शुरू होगा। ये सूर्यग्रहण 1 मई को सुबह 4 बजकर 7 मिनट तक रहेगा। ग्रहण की अवधि करीब 4 घंटे रहेगी। ये ग्रहण आंशिक होगा यानी चंद्रमा सूर्य के प्रकाश के केवल एक अंश को ही बाधित करेगा।
यहां दिखाई देगा सूर्य ग्रहण – ये सूर्य ग्रहण अंटार्कटिका के अतिरिक्त अटलांटिक क्षेत्र, प्रशांत महासागर और दक्षिणी-पश्चिमी भागों में दिखाई देगा। ये ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा। इसलिए भारत में इस ग्रहण का धार्मिक प्रभाव नहीं माना जाएगा और पूजा-पाठ में किसी भी तरह की पाबंदियां नहीं मानी जाएंगी।
सूतक काल मान्य नहीं – सूतक काल सूर्य ग्रहण शुरू होने से 12 घंटे पहले से लग जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार सूतक काल के दौरान कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है। भारत में ना दिखाई देने की वजह से इस सूर्यग्रहण का सूतक काल मान्य नहीं होगा।
ये होता है सूर्य ग्रहण – नासा के अनुसार, सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है और पृथ्वी पर छाया डालता है। इस अवस्था में वो सूर्य के प्रकाश को पूरी तरह या आंशिक रूप से ढक लेता है। आंशिक ग्रहण के दौरान चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह से ढक नहीं पाता है। इसकी वजह से सूर्य अर्धचंद्राकार आकार में नजर आता है। आंशिक ग्रहण होने की वजह से चंद्रमा, सूर्य और पृथ्वी एक पूर्ण सीधी रेखा में नहीं होंगे। चन्द्रमा अपनी छाया का केवल बाहरी भाग ही सूर्य पर डालेगा, इसे उपछाया भी कहा जाता है।
#KAMAL KANT SHARMA / BHAWANI JOSHI www.newsfastweb.com