नियमों की उड़ाई जा रही धज्जियां, अपनों को बांटी जा रही रेवडिय़ां
बीकानेर। देश के सबसे बड़े बैंक होने का दावा करने वाले एसबीआई बैंक की कैश वेन बिना सुरक्षा प्रबंध के ही लाखों रुपए ढो रहीं हैं। ऐसे में सवाल यह खड़ा हो रहा है कि अगर कोई हादसा हो जाए तो इसका जिम्मेदार कौन होगा ?
न्यूजफास्ट वेब को मिली जानकारी के अनुसार नकदी ढोने वाली कैश वेन के लिए आरबीआई की और से कुछ नियम तय किए गए हैं। इन नियमों को पूरा करने वाले वाहन ही बैंकों के लिए नकदी ढोने का कार्य कर सकते हैं।
न्यूजफास्ट वेब को मिली जानकारी के मुताबिक आरबीआई के नियमों के अनुसार नकदी ढोने वाली कैश वेन मेें शीशों पर जालियांं लगी होनी चाहिए, वाहन के पीछे की तरफ सीसी कैमरे लगे होने चाहिए, जीपीएस लगा होना चाहिए, वाहन 3-5 वर्ष से ज्यादा पुराना नहीं होना चाहिए। कैश वेन के चालक का लाइसेंस भी नियमानुसार होना चाहिए। इन सब नियमों को ताक पर रख कर एसबीआई में चल रही कैश वेन नौ से दस वर्ष पुरानी है। इतना ही नहीं वाहन का इंश्योरेंस, फिटनेस और पॉल्यूशन प्रमाण पत्र भी नहीं है।
विश्वस्त सूत्रों ने बताया कि एक वाहन के तो टेम्पररी नम्बर हैं, जिसे बैंक के अधिकारी उपयोग में ले रहे हैं। इस टेम्पररी नम्बर के बारे में पता लगाया तो वे एक जीप के नम्बर निकले जबकि टेम्पररी नम्बर की प्लेट कार पर लगी है और इस कार में बैंक के अधिकारी आना-जाना करते हैं।
बताया जा रहा है कि कुछ जागरूक लोगों ने कैश वेन में बरती जा रही अनियमितताओं के बारे में बैंक के आला अधिकारियों को अवगत करवाया है लेकिन हैरानी की बात तो यह है कि रुपए ढोने के दौरान कैश वेन में बैठने वाले सुरक्षा गार्ड्स ने भी कैश वेन में बरती जा रही अनियमितताओं के बारे में बैंक प्रशासन को नहीं बताया।
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