दो सरकारी प्लांट सरकारी उदासीनता के चलते पिछले 8 वर्षों से पड़े हैं बंद
बाड़मेर जिले में हैं दो कोयले के भंडार, निजी कंपनी कर रही है अवैध खनन
जयपुर। प्रदेश में गहराए विद्युत संकट के बावजूद प्रदेश की गहलोत सरकार कुंभकर्णी नींद सो रही है। कोयले की उपलब्धता के बावजूद बाड़मेर जिले के दो सरकारी प्लांट सरकारी उदासीनता के चलते पिछले 8 साल से धूल फांक रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक इन दोनों इकाइयों से रोजाना 60 लाख यूनिट बिजली पैदा की जा सकती है। लेकिन गहलोत सरकार अपना सिस्टम सही करने के बजाय एक निजी कंपनी पर मेहरबान है। इस कंपनी को कोयले के अवैध खनन की भी छूट मिली हुई है। चौंकाने वाली बात यह है कि इन बंद इकाइयों से सरकार को सालाना करीब 225 करोड़ रुपए का राजस्व नुकसान हो रहा है। इसके बावजूद सरकार के कान पर जूं नहीं रेंग रही है। इतना ही नहीं कांग्रेस के एक विधायक ने अपनी सरकार को पत्र लिखकर निजी कंपनी के पास कोयले के अतिरिक्त कोयला भंडार में गिरल प्लांट को कोयला उपलब्ध करवाने के आदेश देने की सलाह दी थी।
धूल फांक रहे 1500 करोड़ के दो प्लांट
बाड़मेर जिले के गिरल गांव में राजस्थान की सरकारी कंपनी राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड ने 2003 में गिरल थर्मल पावर प्लांट लगाना शुरू किया। साल 2007 में गिरल में 125 मेगावाट क्षमता की पहली और 2008 में दूसरी इकाई बनकर तैयार हो गयी। पहली इकाई की लागत करीब 764 करोड़ और दूसरी इकाई पर 750 करोड़ का खर्चा आया। 1500 करोड़ के खर्च के बावजूद तकनीकी कारणों के चलते इन इकाइयों से कभी भी बिजली उत्पादन नहीं हो सका।
चौंकाने वाली बात यह है कि गिरल प्लांट से महज 15 किलोमीटर दूर जालिपा और कपुरड़ी में 1 प्रतिशत से कम सल्फर वाले कोयला भंडार मौजूद हैं। इन खदानों से गिरल प्लांट को कोयला सप्लाई हो तो इन इकाइयों से भी बिजली उत्पादन संभव है, लेकिन यह सब सरकार की मर्जी पर निर्भर है। सरकारी कंपनी राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड बीते कई साल से सरकार से जालिपा और कपुरड़ी खदानों से कोयला उपलब्ध करवाने की कोशिश में जुटी है। लेकिन सरकार अपनी ही कंपनी को ठेंगा दिखाकर निजी कंपनी पर मेहरबान है।
निजी कंपनी पर मेहरबानी
गिरल प्लांट से कुछ ही दूरी पर भादरेस में जिंदल समूह की कंपनी राजवेस्ट पॉवर लिमिटेड ने लिग्नाइट आधारित 135 मेगावाट की 8 यूनिट स्थापित कर रखी हैं। इन इकाइयों के लिए सरकार ने कंपनी को जालिपा और कपुरड़ी खदानों से कोयले की आपूर्ति की छूट दे रखी है। 2016 में राज्य कैबिनेट ने फैसला लिया कि कपुरड़ी से कोयले की आपूर्ति गिरल प्लांट को की जाए, लेकिन निजी कंपनी ने सरकारी आदेश को ढेंगा दिखा दिया। बावजूद इसके सरकार निजी कंपनी पर ही मेहरबान है।
निजी कंपनी को अवैध खनन की लिखित अनुमति
साल 2016 में केन्द्रीय कोयला मंत्रालय ने बाड़मेर के जालिपा और कपुरड़ी कोयला खदानों से खनन को अवैध करार देते हुए जिंदल समूह की कंपनी से 2436 करोड़ रुपए का जुर्माना वसूलने का आदेश दिया था। करीब 6 साल बाद हाल ही में अप्रेल 4, 2022 को केन्द्र के आदेश का हवाला देते हुए प्रदेश की गहलोत सरकार ने दोनों खदानों से कोयले के खनन को बंद करने का आदेश दिया। लेकिन महज दो हफ्तों में आदेश पलटते हुए गहलोत सरकार ने निजी कंपनी को अवैध खनन की लिखित अनुमति जारी कर दी।
#KAMAL KANT SHARMA / BHAWANI JOSHI www.newsfastweb.com