निजी अस्पतालों की मनमानी पर लगेगी रोक

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निजी अस्पतालों

क्लिनिकल एक्ट जल्द होगा लागू, स्वास्थ्य विभाग ने शुरू की कवायद

बीकानेर। निजी अस्पतालों में मरीजों के इलाज करने में लापरवाही और इलाज के नाम पर मनमर्जी का शुल्क वसूलने वाले अस्पतालों पर प्रदेश की सरकार शिकंजा कसने की तैयारी कर रही है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने क्लिनिकल एस्टाबिलिशमेंट एक्ट के नियम बना लिए हैं और इस एक्ट को लागू करने के लिए केन्द्र सरकार की गाइड लाइन के इंतजार में है।

विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश में वर्ष-2011 में क्लिनिकल एस्टाबिलिशमेंट एक्ट लागू करने की कवायद कांग्रेस सरकार के पिछले कार्यकाल में शुरू हुई थी। लेकिन नियम नहीं होने की वजह से एक्ट के लागू करने का काम रोक दिया गया था। इसके बाद फिर वर्ष-2015 में इस एक्ट के स्थानीय स्तर पर नियम बनने शुरू हुए।

अब विभाग के अधिकारियों के मुताबिक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेश की जरूरतों को देखते हुए क्लिनिकल एस्टाबिलिशमेंट एक्ट के नियम बना लिए हैं और अब निजी अस्पतालों का रिकॉर्ड जुटाया जा रहा है। हालांकि केन्द्र सरकार भी इस एक्ट को लागू करने के लिए कुछ मानक तय करने जा रही है। एक्ट को लागू करने के न्यूनतम मानक क्या होंगे, इसे लेकर केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय में मशक्कत जारी है। जानकारी यह भी मिली है कि इसका ड्राफ्ट जल्द ही केन्द्रीय केबिनेट को भेजे जाने की तैयारी भी मंत्रालय कर रहा है।

निजी अस्पतालों पर नहीं हैं शुल्क के कोई नियम

निजी अस्पतालों में मरीजों की जांच, इलाज के शुल्क लेने पर कोई नियम लागू नहीं हैं। ज्यादातर निजी अस्पतालों में संचालकों की मनमर्जी से जांच और इलाज के शुल्क वसूले जा रहे हैं। रोगियों के रजिस्ट्रेशन, फाइल चार्ज के नाम पर ही सौ से डेढ़ सौ रुपए वसूल लिए जाते हैं। इसके अलावा जांच आदि के शुल्क में भी कोई मानक नहीं हैं। बीपी (ब्लड प्रेशर) और ईसीजी जैसी जांचों के भी सौ से सवा सौ रुपए वसूले जा रहे हैं। निजी अस्पतालों में खुदका ही मेडिकल स्टोर होता है, जहां चिकित्सकों की मनमर्जी के ब्रांड की दवाई और कीमत वसूली जा रही है।

 

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