पोस्टर, बैनर, लाउडस्पीकर का गया जमाना
दूर तक जाती है सोशल मीडिया की आवाज
#KAMAL KANT SHARMA / BHAWANI JOSHI www.newsfastweb.com
बीकानेर। सोशल मीडिया के बाद अब चुनाव प्रचार का ट्रेंड भी बदल गया है। वोटो की मजबूती के लिए नेताओं ने सोशल मीडिया की ताकत भी समझ ली है। खुद की ताकत बढाने के लिए अब नेताओं को सोशल मीडिया की ताकत समझ आ रही है। ऐसे में राजनेता चुनावों में सोशल मीडिया प्लेटफार्म से चुनावी ताक ठोक रहे हैं।
जानकार लोगों के अनुसार अब चुनावी प्रचार का ट्रेंड काफी बदल गया है। कभी धुआंधार प्रचार के दौरान लाउडस्पीकर से की जाती थी अपील। लेकिन अब तो सोशल मीडिया से आवाज दूर तक जाती है। एक जमाना ऐसा था कि झंडे, नारेबाजी या लाउडस्पीकर के जरिए नेता चुनावी मैदान में उतरते थे। गलियों, नुक्कड़ों पर प्रचार के लिए पोस्टर, बैनर लगा करते थे। हालांकि अब भी चुनावी प्रचार सामग्री में इनका उपयोग किया जाता है लेकिन अब पोस्टर, बैनर का उपयोग कम और सोशल मीडिया का जोर ज्यादा हो गया है। क्योंकि अब नेता भी सोशल मीडिया की ताकत बखूबी जानने लगे है। अब सोशल मीडिया आने के बाद चुनाव प्रचार का ट्रेंड बिल्कुल ही बदल गया है।
सोशल मीडिया पर चुनाव आयोग की नजर
सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए चुनाव आयोग ने सभी राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों के जरिये सोशल मीडिया पर पोस्ट की जाने वाली सामग्री को चुनाव आचार संहिता के दायरे में लाने का फैसला किया है। ये निर्णय वर्ष, 2014 के आम चुनाव के दौरान किया गया था। तब चुनाव आयोग का कहना था कि चुनाव में पारदर्शिता और बराबरी के अवसर बनाए रखने के लिये सोशल मीडिया पर नियंत्रण की ज़रूरत है। चुनाव आयोग का यह भी कहना था कि सोशल मीडिया पर चुनाव कानूनों का निश्चित रूप से उल्लंघन होता है। चुनाव आयोग के नए दिशा-निर्देशों के अनुसार प्रत्याशियों को नामांकन दाखिल करते समय दिये जाने वाले हलफनामे में अपनी ई-मेल आईडी और और अधिकृत सोशल मीडिया एकाउंट्स की जानकारी देनी होगी। किसी भी इंटरनेट आधारित माध्यम पर राजनीतिक विज्ञापन देने से पहले चुनाव आयोग द्वारा तय अधिकारी से मंजूरी लेनी होगी।
झूठी खबरों के पोस्ट पर भी बैन
राजनीतिक दल और उम्मीदवार अपने सोशल मीडिया एकाउंट्स से असत्यापित विज्ञापन की तस्वीरें, नफरत भरे भाषण, झूठी खबरें पोस्ट नहीं कर सकेंगे। ऐसा कोई भी कंटेंट पोस्ट करना प्रतिबंधित है जिससे चुनावी प्रक्रिया बाधित हो या शांति, सामाजिक सद्भाव और सार्वजनिक व्यवस्था को खतरा उत्पन्न हो।