कल से शुरू हो रहे पितृ पक्ष, 15 दिन भूलकर भी न करें ये काम

0
642
Pitru Paksha starting from tomorrow, do not do this work even after forgetting 15 days

पूर्वजों को याद कर उनकी आत्मा की शांति के लिए किया जाता है श्राद्ध

नशे से दूर रहें और सात्विक भोजन करने की है मान्यता

बीकानेर। पितृ पक्ष या श्राद्ध पक्ष भाद्रपद महीने की पूर्णिमा से शुरू होकर पितृमोक्षम अमावस्या तक चलते हैं। आज अनंत चतुदर्शी पर भगवान गणेश जी की प्रतिमा विदाई के साथ अगले दिन यानी कल 20 सितंबर से पितृ पक्ष शुरू हो रहा हैं जो कि 6 अक्टूबर को खत्म होगा।


मान्यता है कि पितृ पक्ष में अपने पूर्वजों को याद कर उनकी आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध किया जाता है। देश की प्रमुख जगहों जैसे हरिद्वार, गया आदि जाकर पिंडदान करने से पितृ प्रसन्न होते हैं, वहीं इन दिनों में कुछ कार्य ऐसे भी बताए गए हैं, जिनकी करने की मनाही बताई गई है। 

मान्यता के अनुसार 15 दिन आसपास रहते हैं पितृगण 

शास्त्रों के अनुसार पितृपक्ष में पितृ 15 दिन तक पृथ्वी पर रहने के बाद अपने लोक लौट जाते हैं। इस दौरान पितृ अपने परिजनों के आसपास रहते हैं। इसलिए इन दिनों कोई भी ऐसा काम नहीं करना चाहिए, जिससे पितृ नाराज हों। ज्यातिषाचार्यों के अनुसार पितृ पक्ष के दौरान शाकाहारी भोजन का ही सेवन करना चाहिए। अगर आप नॉन-वेज और शराब आदि का सेवन करते हैं, तो इनसे बचना चाहिए।

इन कार्यों से होते हैं नाराज

श्राद्ध कर्म करने वाले सदस्य को इन दिनों बाल और नाखून नहीं काटने चाहिए। उन्हें ब्रह्मचर्य का पालन भी करना चाहिए। श्राद्ध कर्म हमेशा दिन में करें। सूर्यास्त के बाद श्राद्ध करना अशुभ माना जाता है। इन दिनों में लौकी, खीरा, चना, जीरा और सरसों का साग नहीं खाना चाहिए। जानवरों या पक्षी को सताना या या परेशान भी नहीं करना है।

पितृ को प्रसन्न करने के लिए करें ये काम

पितृ पक्ष में अगर कोई जानवर या पक्षी आपके घर आएए तो उसे भोजन जरूर कराना चाहिए। मान्यता है कि पूर्वज इन रूप में आपसे मिलने आते हैं। पितृ पक्ष में पत्तल पर भोजन करें और ब्राह्राणों को भी पत्तल में भोजन कराएं तो यह फलदायी माना जाता है।

नहीं करें ये शुभ काम 

पितृ पक्ष में कोई भी शुभ काम जैसे शादी, सगाई, मुंडन, गृह प्रवेश, घर के लिए महत्वपूर्ण चीजों की खरीददारी नहीं करें। नए कपड़े या किसी प्रकार की खरीददारी को भी अशुभ माना जाता है। इस दौरान बेहद सादा जीवन जीने और सात्विक भोजन करने के लिए भी कहा गया है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here