विपक्ष अब नहीं मचा पाएगा हल्ला, भजनलाल सरकार का एक्शन प्लान तैयार

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Opposition will not be able to create ruckus now, Bhajan Lal government's action plan is ready

बीकानेर। बजट सत्र में विपक्ष अब हल्ला नहीं मचा पाएगा। भजनलाल सरकार ने इसके लिए एक्शन प्लान तैयार कर लिया है। भजनलाल सरकार के पहले पूर्ण बजट पर 26 जुलाई को सदन में बहस होनी है। ऐसे में विपक्ष के हमलों से बचने के लिए सरकार ने भी अपनी तैयारी कर ली है।


राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार बजट सत्र में अनुदान मांगों पर बहस और मतदान के लिए भजनलाल सरकार के मास्टर स्ट्रोक के तहत अब महत्वपूर्ण विभाग गृह, शिक्षा और एसीबी को इस मामले से बाहर कर दिया है। क्योंकि राज्य की सरकार नहीं चाहती है कि विधानसभा में विपक्ष इन मुद्दों को लेकर सरकार को घेर सके। सरकार को यह भी डर है कि अगर इन मुद्दों पर मतदान हुआ और इसमें विपक्ष जीत गया तो उनके बजट की घोषणाएं अटक कर रह जाएंगी। बजट सत्र के दौरान शिक्षा मंत्री के आदिवासी लोगों पर दिए गए बयान और महिला उत्पीडऩ को लेकर विधानसभा में पिछले दिनों काफी बवाल मच चुका है। ऐसी स्थिति से बचने के लिए सरकार ने मुख बंद का प्रयोग किया है, जो ऐसे संकट से उबरने के लिए आमतौर पर सरकार इस मास्टर स्ट्रोक का सहारा लेती रही है। इससे पहले भी पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने कार्यकाल में 29 जुलाई, 2019 को मुख बंद की घोषणा की थी।


राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार पिछले दिनों विधानसभा सत्र के दौरान विधायक इंदिरा मीणा ने सदन में महिला अत्याचार के मामलों की जानकारी मांगते हुए सवाल उठाए थे। इस सवाल पर जवाब देते हुए सरकार की ओर से महिला अत्याचार के आंकड़ों का सदन पटल पर रखा गया और कहा गया कि महिला उत्पीडऩ के मामलों में भरतपुर जिला नंबर दो पर है। सरकार का यह जवाब सुनते ही विपक्ष ने हंगामा खड़ा कर दिया था। उस दौरान विपक्षी नेताओं ने कहा भी था कि जब मुख्यमंत्री के ही गृह जिले भरतपुर में ही महिला उत्पीडऩ के मामले में नबंर दो पर है तो प्रदेश के अन्य जिलों में हालात कैसे होंगेए ये सभी समझ सकते हें।


शिक्षा मंत्री मदन दिलावर भी हमेशा अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में रहते हैं। पिछले दिनों उन्होंने भी आदिवासियों का डीएनए टेस्ट को लेकर बयान दिया थाए जिसके बाद प्रदेश में बड़ा बवाल खड़ा हो गया था। डूंगरपुर-बांसवाड़ा सांसद राजकुमार रोत ने अपने ब्लड के नमूने देते हुए जमकर प्रदर्शन भी किया था और शिक्षा मंत्री के इस्तीफे की मांग भी सरकार से की थी। शिक्षा मंत्री के इन बयानों को लेकर विपक्ष की ओर से विधानसभा में जमकर हंगामा किया गया था। भजनलाल सरकार इस प्रकार की स्थितियों से बचते हुए अब अपने मास्टर स्ट्रोक का सहारा ले रही है।

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