संस्कृत शिक्षकों का नहीं हो रहा सम्मान, न किसी को बुलाया

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संस्कृत भाषा की अनदेखी के भाजपा सरकार पर आरोप

बीकानेर। राज्य सरकार की ओर से शिक्षक दिवस पर पांच सितंबर को अमरूदों के बाग में होने वाले शिक्षक सम्मान समारोह में संस्कृत भाषा की अनदेखी का मामला सामने आया है।

राज्य सरकार की ओर से वर्ष-2013 के बाद नियुक्त हुए विभिन्न श्रेणियों में तकरीबन 50 हजार शिक्षकों को अमरूदों के बाग में बुलाया है।

इस सम्मान समारोह में 33 शिक्षकों का सम्मान किया जाएगा। बड़े पैमाने पर हो रहे शिक्षक सम्मान कार्यक्रम में संस्कृत भाषा से किसी शिक्षक का सम्मान नहीं हो रहा है, साथ ही इस सम्मान समारोह में संस्कृत भाषा के किसी शिक्षक को बुलाया तक नहीं है।

सरकार की अनदेखी से ये संस्कृत शिक्षक खुद को अपमानित तो महसूस कर ही रहे हैं, साथ ही इस सरकार के इस बर्ताव के खिलाफ शिक्षकों में गहरी नाराजगी भी देखी जा रही है।

संस्कृत शिक्षकों को इस सम्मान समारोह में जाने के लिए अभी तक कोई आदेश प्राप्त नहीं हुए हैं, जबकि सामान्य शिक्षकों के आई कार्ड बनाए जा रहे हैं।

संस्कृत शिक्षकों को सम्मान समारोह में नहीं बुलाया जाना, उनके साथ सौतेला व्यवहार किया जाना समझा जा सकता है। प्रदेश के शिक्षा जगत में सामान्य एवं संस्कृत शिक्षा में विभेद किया जा रहा है जो कतई उचित नहीं है।

संस्कृत शिक्षा के शिक्षकों भी सामान्य शिक्षा के शिक्षकों की तरह समारोह में प्रतिभागी बनाया जाना चाहिए और सामान्य शिक्षा की तरह उनका भी सम्मान किया जाना चाहिए।

1500 शिक्षकों को रखा दूर

सरकार से आदेश नहीं मिलने के कारण 2013 के बाद संस्कृत शिक्षा में लगे 1500 शिक्षक इस सम्मान से दूर रहने के साथ इस समारोह से भी दूर ही हैं। जबकि 2013 के बाद लगे 50 हजार सामान्य शिक्षकों को सम्मान समारोह में बुलाया गया है।

इन शिक्षकों के आई कार्ड भी बनना शुरू हो गए हैं। सम्मान समारोह में आने वाले शिक्षकों को आने जाने का किराया तक दिया जाएगा।

 

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