ना अपील, ना दलील, इस अदालत में दोनों पक्षों की रजामंदी से होता है समझौता, पढ़ें पूरी खबर…

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No appeal, no argument, in this court agreement is reached with the consent of both the parties

त्वरित न्याय के लिए लेवें राष्ट्रीय लोक अदालत का सहारा, 12 मार्च को हो रहा है आयोजन

सभी सिविल, आपराधिक, पारिवारिक, एमएसीटी, राजस्व और अन्य सभी न्यायालयों में होगा आयोजन

बीकानेर। अदालत में लंबित मुकदमों के शीघ्र निस्तारण के लिए राष्ट्रीय लोक अदालत एक बेहतरीन अवसर है। 12 मार्च को आयोजित होने वाली राष्ट्रीय लोक अदालत में वैवाहिक, पारिवारिक विवाद, मोटर वाहन दुर्घटना क्लेम, सभी दीवानी मामले, श्रम एवं औद्योगिक विवाद, चैक अनादरित प्रकरण, पेंशन मामले, वसूली, सभी राजीनामा योग्य फौजदारी मामले और विवाद पूर्व प्रकरण निस्तारित किए जाएंगे। लोक अदालत की भावना से इस बार राजस्व प्रकरणों का भी निस्तारण किया जाएगा।


अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव मनोज गोयल ने बताया कि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण बीकानेर की ओर से न्यायालयों में लम्बित प्रकरणों एवं विवाद पूर्व प्रकरणों के शीघ्र निस्तारण के लिए राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा 12 मार्च को लोक अदालत का आयोजन किया जा रहा है। यदि किसी व्यक्ति का कोई प्रकरण न्यायालय में लम्बित है अथवा प्रकरण दायर करने की सोच रहे हैं तो प्री-लिटिगेशन केस के रूप में तत्काल दायर कर इसका लाभ उठाया जा सकता है। सभी न्यायालय सिविल, आपराधिक, परिवारिक, राजस्व, एमएसीटी और अन्य सभी न्यायालयों में लोक अदालत का आयोजन किया जाएगा। राष्ट्रीय लोक अदालत की सफलता के लिए न केवल न्यायालय के पीठासीन अधिकारी बल्कि समाजसेवी, राजस्व अधिकारी, जन-प्रतिनिधिए समाजसेवी संगठन आदि सभी का योगदान लिया जाएगा।

इस प्रकार के मुकदमों में फैसला कर सकती है लोक अदालत


राष्ट्रीय लोक अदालत ऑनलाइन व ऑफलाइन दोनों तरीकों से आयोजित किए जाने का प्रावधान किया गया है। इसमें न्यायालय में लंबित प्रकरण राजीनामा योग्य, फौजदारी धारा-138 चैक अनादरण, धन वसूली, एमएसीटी, श्रम एवं नियोजन संबंधी विवाद एवं कर्मचारी क्षतिपूर्ति अधिनियम के प्रकरण, बिजली, पानी एवं अन्य बिल भुगतान से संबंधित प्रकरण (अशमनीय के अलावा), पारिवारिक विवाद (तलाक को छोड़कर), भूमि अधिग्रहण प्रकरण, सभी प्रकार के राजस्व मामले, वाणिज्यिक विवाद, बैंक के विवाद, गैर सरकारी शिक्षण संस्थान के विवाद, सहकारिता संबंधी विवाद, परिवहन संबंधी विवाद, स्थानीय निकाय के विवाद, आयकर संबंधी विवाद, परिवहन संबंधी विवाद, रियल एस्टेट संबंधी विवाद, रेलवे क्लेम्स संबंधी विवाद, अन्य कर संबंधी विवाद, उपभोक्ता, विक्रेता एवं सेवा प्रदाता के मध्य के विवाद, सिविल मामले (किरायेदारी, बंटवारा, सुखाधिकार, निषेधाज्ञा, क्षतिपूर्ति एवं विनिर्दिष्ट पालना के दावे), अन्य राजीनामा योग्य ऐसे मामले जो अन्य अधिकरणों, आयोगों, मंचों, अथॉरिटी अथवा प्राधिकारियों के समक्ष लंबित प्रकरणों का निस्तारण किया जाएगा।


उन्होंने बताया कि प्री-लिटिगेशन के लिए धारा-138 चैक अनादरण, धन वसूली, श्रम एवं नियोजन संबंधी, बिजली, पानी एवं अन्य बिल भुगतान, भरण-पोषण से संबंधित, राजस्व विवाद, उपभोक्ता-विक्रेता संबंधी विवाद, सिविल विवाद, सर्विस मैटर्स, उपभोक्ता विवाद व अन्य राजीनामा योग्य विवाद जो अन्य अधिकरणों, आयोगों, अथॉरिटी, आयुक्त, प्राधिकरणों के क्षेत्राधिकार से संबंधित हैं रखे जाएंगे।

ये होता है लोक अदालत में


दोनों पक्षों को आपसी सहमति व राजीनामे से सौहार्दपूर्ण वातावरण में पक्षकारान की रजामंदी से विवाद निपटाया जाता है। इससे शीघ्र व सुलभ न्याय, कोई अपील नहीं, सिविल कोर्ट के आदेश की तरह पालना, कोर्ट फीस वापसी, अंतिम रूप से निपटारा, समय की बचत जैसे लाभ मिलते हैं।

प्री-काउन्सलिंग


रैफर किए जाने वाले राजीनामा योग्य, चिन्हित प्रकरणों के संबंध में न्यूनतम 25 प्रकरण की कॉजलिस्ट सुलह-वार्ता के लिए तैयार करके पीठासीन अधिकारी के द्वारा प्री-काउंसलिंग की दिनांक व समय की सूचना ई-मेल, वाट्सएप अथवा मोबाइल नंबर के जरिए दी जाकर या भौतिक रूप से नोटिस प्रेषित करके प्री-काउंसलिंग करवाई जाती है। यह प्रक्रिया कोविड-19 की गाइडलाइन को मद्देनजर रखते हुए ऑनलाइन भी करवाई जा सकती है जो कि प्री-लिटिगेशन व पेंडिंग प्रकरणों दोनों में उपलब्ध है।

ये करना होता है पक्षकारों को


उन्हें स्वयं या अधिवक्ता के माध्यम से न्यायालय, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अथवा तालुका विधिक सेवा समिति में आवेदन करना होगा। राष्ट्रीय लोक अदालत में प्रकरण रखने का आवेदन ई-मेल, वाट्सएप अथवा मोबाइल से भी किया जा सकता है।

डोर स्टेप काउन्सलिंग की सुविधा भी रहेगी उपलब्ध


राष्ट्रीय लोक अदालत में डोर स्टेप काउंसलिंग का भी प्रावधान किया गया है। न्यायालयों में लंबित प्रकरणों का यदि न्यायालय में प्री-काउंसलिंग के दौरान राजीनामा नहीं होता है तो उनको डोर स्टेप काउंसलिंग के लिए चिन्हित किया जाएगा। इसके लिए काउंसलर, सेवा निवृत्त न्यायिक अधिकारी, पैनल अधिवक्ता, प्रशिक्षित अधिवक्ता, मध्यस्थ, सेवारत अथवा सेवा निवृत्त सरकारी अधिकारी, कर्मचारी को मनोनीत किया जाएगा। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण या तालुका विधिक सेवा समिति से संबंधित स्थानीय क्षेत्र के स्वतंत्र एवं प्रतिष्ठित व्यक्तियों जैसे वार्ड पार्षद, डिप्टी मेयर, नगर निगम, अध्यक्ष-उपाध्यक्ष, नगर पालिका, नगर परिषद, पंचायत समिति सदस्य, उप-प्रधान, प्रधान, जिला परिषद सदस्य, उप-जिला प्रमुख, जिला प्रमुख, वार्ड पंच, सरपंच, सामाजिक कार्यकर्ता, व्यापार संगठन के प्रतिनिधि, स्थानीय लोकप्रिय एवं प्रतिष्ठित व्यक्ति तथा अन्य जनप्रतिनिधि, सीएलजी सदस्यगण, हल्का पटवारी, संबंधित स्थानीय क्षेत्र के सेवारत, सेवानिवृत्त प्रशासनिक, राजस्व अधिकारी एवं कर्मचारी का सहयोग लिया जाएगा। मनोनीत काउंसलर को काउंसलिंग के लिए रखे गए प्रकरणों की सूची के साथ उन प्रकरणों से संबंधित दस्तावेज, दावे, अपील, एफआईआर, आरोप-पत्र, प्रार्थना-पत्र आदि की प्रति भी उपलब्ध कराई जाएगी। इसके अलावा बैंकों एवं वित्तीय संस्थानों के मामलों में भी प्री-काउंसलिंग की विशेष प्रक्रिया निर्धारित की गई है।

#KAMAL KANT SHARMA / BHAWANI JOSHI www.newsfastweb.com

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