केन्द्र की तर्ज पर प्रदेश में लागू होगी नई तबादला नीति, बस आचार संहिता खत्म होने का इंतजार

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New transfer policy will be implemented in the state on the lines of the Centre, just waiting for the code of conduct to end

भजनलाल सरकार ने किया ये काम, बदलेंगे कलक्टर और एसपी

बीकानेर। प्रदेश में लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद नई तबादला नीति लागू हो जाएगी। इसके तहत राज्य में भी अब केंद्र सरकार की तरह तबादला नीति लागू होगी। इसको लेकर पूरा सिस्टम तैयार कर लिया गया है। नई तबादला प्रणाली लागू होते ही प्रदेश के सरकारी विभागों में बड़ा परिवर्तन देखने को मिलेगा।

इसको लेकर प्रदेश के मुख्य सचिव सुधांशु पंत ने पूरा खाका तैयार कर लिया हैं। अब माना जा रहा है कि 4 जून को चुनाव परिणाम आने की बाद राज्य में भी नई तबादला नीति लागू हो जाएगी। इसके बाद प्रदेश के सभी जिलों में कलक्टर और एसपी भी बदल जाएंगे।
जयपुर बैठे सूत्रों के अनुसार केंद्र सरकार में बनी तबादला नीति की तर्ज़ पर मुख्य सचिव सुधांश पंत ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के निर्देशों के आधार पर नई तबादला नीति तैयार की है। प्रदेश में लंबे समय से इस तबादला नीति की मांग की जा रही थी। अब तबादला नीति के सभी मुद्दों पर सहमति बन गई है। इसके चलते नई तबादला नीति में सरकारी विभागों में तबादलों में राजनीतिक दखल को खत्म करने के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में कार्मिकों की पोस्टिंग को लेकर आने वाली दिक्कतों को दूर किया जा सकेगा।


नई तबादला नीति में सभी विभागों के अधिकारियों कर्मचारियों से तबादला करने से पहले उनके आवेदन ऑनलाइन मंगवाए जाएंगे। इसके लिए सभी कर्मियों के लिए ग्रामीण और कस्बों के क्षेत्रों में दो साल तक सेवा देना अनिवार्य होगा। आवेदन में कर्मचारी रिक्त पदों पर अपनी इच्छा के अनुसार आवेदन कर सकेंगे। इसके लिए उन्हें किसी प्रकार की राजनीतिक डिजायर की आवश्यकता नहीं होगी। नई तबादला नीति में पदस्थापन के लिए महिला, दिव्यांग, भूतपूर्व सैनिक, श्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले खिलाडिय़ों और असाध्य रोग से पीडि़त कर्मियों के अलावा शहीद आश्रित और डार्क जोन में लंबे समय तक रहने वाले कर्मियों को प्राथमिकता दी जाएगी।

नई तबादला नीति में ये होगा खास होगा


नई तबादला नीति राजस्थान विधानसभा सचिवालय, राजभवन सहित संवैधानिक बोर्ड, निगम आयोग और प्राधिकरण के कर्मियों पर लागू नहीं होगी। किसी सरकारी, अधिकारी कर्मचारी का एक बार तबादला होने के बाद तीन साल तक तबादला नहीं किया जाएगा। भ्रष्टाचार में लिप्त होने या राज्य सरकार की ओर से किसी तरह के अति आवश्यक कार्य में ड्यूटी लगने के चलते मुख्यमंत्री स्तर पर मिली मंज़ूरी के बाद ही उनके तबादले का निर्णय लिया जा सकेगा। इस नई तबादला नीति के लागू होने के बाद सभी विभागों में राजनीतिक दखल समाप्त होगा।

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