नए जिले तो बन गए लेकिन सरकारी दफ्तरों का ठिकाना नहीं

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ISDC signs agreement with JECRC

कई नए जिलों में किराए के भवनों में चल रहे सरकारी कार्यालय

बीकानेर। भजनलाल सरकार ने बीते दिनों नए जिलों पर निर्णय कर आठ जिलों को यथावत रखा। इस दौरान नए जिलों को लेकर सियासत में काफी हलचल मची रही। इधर, भले ही प्रदेश में 8 नए जिले बन गए है, लेकिन इन जिलों में अभी भी लोगों की समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं। इन जिलों के एसपी और कलेक्टर का कोई स्थाई ठिकाना नहीं है। इनके कार्यालय किराए के भवनों में चल रहे हैं, जो आमजन की पहुंच से भी दूर है। यहीं नहीं इन जिलों में अन्य दफ्तरों का तो अता-पता ही नहीं है। लोगों के आरोप हैं कि जो कार्यालय चल रहे हैं, वहां अधिकारी भी नहीं बैठते। इससे आमजन अपनी समस्याओं के लिए चक्कर काट रहा है।

गहलोत सरकार में बनाए गए नए जिलों के फैसले को लेकर सरकार ने दो माह पहले अंतिम निर्णय किया। इसके बाद 6 नए जिलों को सरकार ने निरस्त कर दिया। इनमें आठ में से 6 जिलों को लेकर अभी भी कार्यालय के लिए जमीनों का आवंटन नहीं हो पाया है। इसके कारण जिला कलेक्टर, एसपी समेत कार्यालय किराए के भवनों में चल रहे हैं। इसके अलावा जिले के कई सरकारी कार्यालय का तो कोई ठिकाना नहीं है। कई कार्यालय तो पुराने जिले से ही संचालित हो रहे हैं। ऐसी स्थिति में आम जन को अपनी समस्याओं को दूर करवाने के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

भजनलाल सरकार ने अपने निर्णय के अनुसार आठ जिलों को यथावत रखा, लेकिन इनमें से 6 ऐसे जिले हैं। जिनके पास अभी तक जमीनों का आवंटन नहीं हो पाया है। ऐसी स्थिति में ब्यावर, फलोदी, खैरथल तिजारा, सलूंबर, कोटपूतली बहरोड, बालोतरा और डीग जिले में कलेक्टर और एसपी के ऑफिस या तो किराए के भवन में चल रहे है या दूसरे विभाग के कार्यालयों में। ब्यावर में एसपी ऑफिस शहर से 10 किलोमीटर दूर किराए के भवन में संचालित है, जो आमजन की पहुंच से दूर है।

नए जिलों का निर्माण आमजन की समस्याओं के त्वरित निस्तारण के लिए किया गया था, लेकिन यहां परिस्थितियां विपरीत ही दिखाई दे रही है। नए जिलों के लिए अभी तक जमीनों का आवंटन नहीं हुई। इसके अलावा कई जिलों में सरकारी दफ्तर अभी तक पूरी रूप से संचालित नहीं हो पाए हैं। सरकारी दफ्तर इधर-उधर दूसरे कार्यालयों में संचालित हो रहे हैं।

#Kaant K. Sharma /Bhawani Joshi www.newsfastweb.com

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