राजस्थान स्टेट फार्मास्युटिकल्स प्राइस मॉनिटरिंग एंड रिसोर्स यूनिट का मामला
बीकानेर। नकली दवाओं और कीमतों पर निगरानी के लिए औषधि नियंत्रण संगठन के अधीन गठित राजस्थान स्टेट फार्मास्युटिकल प्राइस मॉनिटरिंग एंड रिसोर्स यूनिट भी पहले से गठित नकली दवा प्रकोष्ठ की तरह कागजी साबित हो रही है।
औषधि नियंत्रण संगठन के अधीन गठित प्रकोष्ठ ने नकली दवाओं की रोकथाम के लिए एक भी कार्रवाई नहीं की है। वहीं गठन के करीब पौने तीन महीने बाद भी प्राइस कन्ट्रोल यूनिट ने अपना काम तक शुरू नहीं किया है। जानकारी के मुताबिक बीती 15 मार्च को इस यूनिट के अधिकारियों की पहली मीटिंग भी हो चुकी है, लेकिन पहली मीटिंग सिर्फ औपचारिक ही साबित हुई। पहली मीटिंग में कोई बड़ा निर्णय नहीं हो सका और यूनिट के लिए संसाधन जल्द जुटाने की बात कही गई।
संसाधनों का अता-पता नहीं
बीते पौने तीन महीने में इस यूनिट को चलाने के लिए न तो संसाधन जुटाए गए हैं और न ही इसके लिए दोबारा कोई बैठक हुई है। ऐसे में यूनिट कब से विधिवत रूप से काम करेगी, ये कहना अभी मुश्किल है। औषधि नियंत्रण संगठन के अधिकारियों के अनुसार नकली दवाओं की रोकथाम के लिए अलग से प्रकोष्ठ का गठन किया गया है। जिसमें एक सहायक औषधि नियंत्रक पिछले तीन साल से नियुक्त है, लेकिन प्रदेश में नकली दवाओं की धरपकड़ के मामले जिलों के सहायक औषधि नियंत्रकों ने बनाए हैं।
मरीजों से लूट जारी
पीबीएम अस्पताल, जिला अस्पताल और अन्य डिस्पेंसरियों के आस-पास दवा विक्रेता मरीजों और उनके परिजनों को लूटने में लगे हैं। इन स्थानों पर दवाओं के मनमाने दाम वसूलने की शिकायतें सहायक औषधि नियंत्रक कार्यालय में पहुंच भी रही हैं। ज्यादा कीमत वसूलने की रोकथाम के लिए कोई प्रभावी कानून नहीं होने से मरीजों और उनके परिजनों को लूटने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है। ऐसी स्थिति में यह यूनिट भी किस तरह से काम करेगी, इसका अंदाजा भी सहज लगाया जा सकता है।