लोकसभा चुनाव में कांग्रेस लड़ सकती है 23 सीटों पर चुनाव,दो सीटें गठबंधन को देने की कवायद
बीकानेर। चार-पांच महीने बाद देश में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर अभी से हलचल तेज होती देखी जाने लगी है। राहुल गांधी के मिशन-2019 के तहत राष्ट्रीय स्तर पर समान विचारधारा वाले दलों से गठबंधन किया जा रहा है।
कई दूसरे दलों से भी गठबंधन करने की कवायद राष्ट्रीय स्तर पर की जा रही है। जिन दलों से गठबंधन की बात चल रही है, उनमें वो दल भी शामिल हैं जिनका प्रदेश में खासा प्रभाव है। क्षेत्रीय दलों में बसपा ही एक ऐसी पार्टी है जिसका प्रदेश में थोड़ा-बहुत जनाधार है। इस बार हुए विधानसभा चुनाव में बसपा के छह विधायक चुन कर विधानसभा पहुंचे हैं।
बताया जा रहा है कि अगर गठबंधन होता है तो समान विचारधारा वाले दलों के लिए कांग्रेस को कुछ सीटें छोडऩी पड़ सकती हैं। ऐसे में अगर समान विचारधारा वाली सीटें छोड़ी गई तो कांग्रेस के मिशन-25 को झटका लग सकता है, क्योंकि प्रदेश कांग्रेस मिशन-25 के तहत काम कर रही है।
वहीं दूसरी ओर गठबंधन के तहत किन-किन प्रदेशों में गठबंधन के लिए कितनी सीटें छोडऩी है, इसे लेकर पार्टी के शीर्ष नेताओं के बीच चर्चा की जा रही है। पिछले दिनों दिल्ली में हुई कांग्रेस कोर ग्रुप की बैठक में भी गठबंधन को लेकर चर्चा हुई है।
दरअसल, कई प्रदेश ऐसे हैं जहां गठबंधन करना पार्टी की मजबूरी है। उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, असम, महाराष्ट्र और बिहार ऐसे प्रदेश हैं, जहां कांग्रेस अपने सहयोगियों पर निर्भर है। ऐसे में अपने प्रभुत्व वाले प्रदेशों में कांग्रेस अपने सहयोगियों के लिए कुछ सीटें छोड़ सकती है।
कुछ समय बाद होगी गठबंधन की तस्वीर साफ
राजनीतिक सूत्रों ने न्यूजफास्ट वेब को बताया कि लोकसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे को लेकर कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों के बीच जनवरी महीने के मध्य में बैठकें होने की बातें कही जा रही है, जिसमें सीटों के बंटवारे पर फार्मूला तैयार हो सकता है। उसके बाद तस्वीर साफ हो पाएगी कि अपने प्रभुत्व वाले प्रदेशों में कांग्रेस अपने सहयोगियों के लिए कितनी सीटें छोड़ती है।
वर्ष-2009 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने प्रदेश की 25 सीटों में से 21 पर जीत दर्ज की थी। वहीं 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में पार्टी को सभी 25 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था। हालांकि बाद में दो लोकसभा सीटों पर हुए उपचुनावों में पार्टी को जीत मिली थी।
गठबंधन के पक्ष में नहीं प्रदेश के नेता
राजनीतिक सूत्रों ने न्यूजफास्ट वेब को बताया कि प्रदेश के आला नेता प्रदेश में समान विचारधारा वाले दलों से गठबंधन के पक्ष में नहीं है। प्रदेश के नेताओं का कहना है कि प्रदेश में कोई भी समान विचारधारा वाला दल इतना मजबूत नहीं है कि अपने दम पर लोकसभा सीट निकाल सके। पार्टी नेताओं का यह भी कहना है कि गठबंधन करना या नहीं करना ये आलाकमान और केन्द्रीय नेताओं को तय करना है।
विधानसभा चुनाव में सहयोगियों को दी थी पांच सीटें
हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के मध्यनजर अपने सहयोगी दलों के लिए पांच सीटें छोड़ी थी। हालांकि सहयोगी दलों को पांच में से चार सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था।