लामबंद हुए मंत्रालयिक कर्मचारी, गहलोत सरकार को घेरने का ऐलान, पढ़ें पूरी खबर…

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Ministerial employees mobilized, announced to surround the Gehlot government, read the full news ...

अखिल राजस्थान संयुक्त मंत्रालयिक कर्मचारी संघ (स्वतंत्र) का चरणबद्ध आंदोलन 14 अप्रेल से

शासन के आला अधिकारी तो ले रहे हैं सातवें वेतन आयोग का लाभ लेकिन मंत्रालयिक कर्मचारियों की कर रहे हैं अनदेखी

बीकानेर। गहलोत सरकार के उपेक्षापूर्ण रवैये से खफा हुए मंत्रालयिक कर्मचारी लामबंद हो गए हैं। अखिल राजस्थान संयुक्त मंत्रालयिक कर्मचारी संघ (स्वतंत्र) की ओर से गहलोत सरकार को चेताने के लिए कल यानि 14 अप्रेल से चरणबद्ध आंदोलन शुरू करने का ऐलान कर दिया गया है।


संगठन के प्रदेश संस्थापक मनीष विधानी और प्रदेश महामंत्री जितेन्द्र गहलोत ने न्यूजफास्ट वेब को बताया कि प्रदेश के 80 हजार से ज्यादा मंत्रालयिक कर्मचारी गहलोत सरकार के भेदभाव वाले रवैये से खफा हैं। मंत्रालयिक कर्मचारियों ने कई बार गहलोत सरकार और शासन के आला अधिकारियों को उनके साथ हो रही नाइंसाफी से अवगत कराया गया और इस नाइंसाफी को दूर करने का निवेदन किया गया लेकिन सरकार और शासन के आला अधिकारियों ने इसकी अनदेखी की है। दो अप्रेल को प्रदेश भर के मंत्रालयिक कर्मचारियों ने जयपुर स्थित शहीद स्मारक पर एक दिवसीय सांकेतिक धरना देकर एक बार फिर से गहलोत सरकार का ध्यान उनकी समस्या पर आकर्षित करने की कोशिश की लेकिन सरकार ने फिर से अनदेखी की। अब संगठन की ओर से चरणबद्ध आंदोलन करने का फैसला लिया गया है।


14 अप्रेल से शुरू हो रहे चरणबद्ध आंदोलन में 20 अप्रेल तक प्रदेश में सभी विधायकों को ज्ञापन दिया जाएगा। इससे अगले चरण में 21 अप्रेल से पोस्टकार्ड अभियान, 1 मई से सरकार के सभी राजकीय सोशल मीडिया ग्रुप से हटना, 16 मई से काली पट्टी बांधकर विरोध, 1 जून से काली पट्टी बांधने के साथ रोजाना आधा घंटे का कार्य बहिष्कार, 16 जून से काली पट्टी बांधकर रोजाना एक घंटे का कार्य बहिष्कार, 1 जुलाई से दो घंटे का कार्य बहिष्कार करेंगे। इसके बाद भी सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानी तो 21 जुलाई से प्रदेशभर में सभी मंत्रालयिक कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने को मजबूर होंगे।

गौरतलब है कि सरकार के मंत्री और पक्ष विपक्ष के सभी विधायक सभी प्रकार के राजकीय लाभ ले रहे हैं। आए दिन विधायकों को दी जाने वाली सुविधाओं में बढ़ोतरी हो रही है। वहीं शासन के आला अधिकारी भी राजकीय सुविधाओं के साथ-साथ सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों का लाभ ले रहे हैं, मगर मंत्रालयिक कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों का लाभ देने में लेटलतीफी या आनाकानी कर रहे हैं।

#KAMAL KANT SHARMA / BHAWANI JOSHI www.newsfastweb.com

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