जांच में दोषी पाए जाने पर भी वन विभाग के कई अधिकारियों व कर्मचारियों को बचाए जाने की कोशिश।
बीकानेर। एक तरफ तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भ्रष्टाचार को खत्म करने की मुहिम चला रहे हैं वहीं दूसरी तरफ उनकी सरकार के शासन में जिले में वन विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों पर वन विकास के नाम पर लाखों रुपए डकारे जाने के आरोप लग रहे हैं।
इतना ही नहीं इस गड़बड़झाले के दोषी लोकसेवकों को बचाने के लिए बड़े-बड़े अधिकारियों ने अपने-अपने स्तर पर पुरजोर कोशिश की है। अब जीव और पर्यावरण प्रेमियों ने प्रदेश में नई सरकार आने के बाद इस मामले को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तक पहुंचाने की कोशिश की है। देखने वाली बात यह होगी कि मुख्यमंत्री इस मामले के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई कब करवाते हैं।
दो साल पहले सामने आया था मामला
इस बारे में वर्ष-2017 में कांग्रेस विधायक सुखराम बिश्नोई ने तत्कालीन वसुन्धरा राजे सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए वन विभाग के वन कर्मियों की ओर से संभाग में बिना कार्य करवाए दो करोड़ रुपए डकारे जाने के सम्बंध में जवाब मांगा था। तब लोकायुक्त ने संज्ञान लेते हुए प्रधान वन संरक्षक को पत्र लिखते हुए बीकानेर संभाग के तत्कालीन मुख्य वन संरक्षक को इसकी जांच के निर्देश दिए थे।
उस दौरान सीसीएफ ने अपने कार्य में मौजूद उन वन मंडलों के क्षेत्र (साइट) के रिकॉर्ड को खंगाला तो गड़बड़झाला सामने आ गया। उन्होंने जांच में पाया कि तत्कालीन सीसीएफ दयासिंह ने स्वयं 5 मई, 2015 से 20 जनवरी, 2017 तक 22 क्षेत्रों (साइट्स) का एवं उपवन संरक्षक चूरू के अधीन एक क्षेत्र का निरीक्षण 18 जनवरी, 2017 को किया था। इस निरीक्षण में गंभीर अनियमितताएं और लाखों रुपए के गबन पाया गया था। इस मामले की जांच रिपोर्ट में भी सीसीएफ ने गबन और अनिमितताओं को उल्लेखित किया गया है। इसके बाद बीकानेर सीसीएफ पद पर स्थापित बीआर भादू ने 19 जुलाई 2017 से 16 अगस्त,2017 तक छीलाकश्मीर क्षेत्र की 6 साइट्स और अन्य सभी साइट्स पर जाकर भौतिक निरीक्षण किया। उन्होंने भी छीलाकश्मीर की सभी साइट्स के 290 हैक्टेयर व अन्य साइट्स में वनकर्मियों की ओर से की गई अनियमितताएं और गबन की पुष्टि की।
ये हैं घोटाले के आरोप
जानकारी के मुताबिक छीलाकश्मीर की छह साइटस पर किए गए निरीक्षण में सामने आया कि वहां माप पुस्तिका में खड्डे खोद कर एक लाख छियालिस हजार पौधे लगाने का उल्लेख है लेकिन जांच के दौरान वहां सिर्फ 44 हजार पौधे ही जीवित पाए गए। वहां तकरीबन 28 हजार पौधे तो लगाए ही नहीं गए लेकिन उनके खड्डे खोदनेसे लेकर सुरक्षा व सिंचाई के नाम पर 5 लाख 45 हजार रुपए उठा लिए गए।
इन्हीं साइटस में मृदा संरक्षण (मल्चिंग) के कार्य करने की एवज में डेढ़ गुनी राशि 4 लाख 41 हजार रुपए का भुगतान उठा लिया गया। विभाग के रिकॉर्ड में वहां एक लाख चौसठ हजार रनिंग मीटर लम्बा खाला निर्माण दर्शा कर उसका एक लाख छत्तीस हजार रुपए का भुगतान उठाया गया लेकिन जांच के दौरान मौके पर 31 हजार रनिंग मीटर खाला ही मौजूद पाया गया। कच्चे खाले के निर्माण में भी ज्यादा राशि का भुगतान उठा लिया गया।
इसी क्षेत्र में 4 डिग्गियों के निर्माण में निर्धारित मापदंडों का उल्लंघन किया गया। इन डिग्गियों की खुदाई, निर्माण सामग्री व श्रम के लिए चार लाख पचपन हजार रुपए का भुगतान उठा लिया गया। जांच के दौरान मौके पर चारों डिग्गियां क्षतिग्रस्त पाई गईं। एक भी डिग्गी का तला (फर्श) ही मौजूद नहीं था। तकनीकी दृष्टि से सभी डिग्गियों का निर्माण घटिया था।
रिपोर्ट में जांच अधिकारी ने यह भी लिखा है कि उन्होंने छह साइटस की जांच के दौरान इन गड़बडिय़ों की जिम्मेदार तत्कालीन उपवन संरक्षक इगानप स्टेज-2 को मौके पर जाकर अपने ज्ञान देने के लिए कई बार निर्देशित किया गया था लेकिन वे नहीं गए। शेष 17 साइटस की जांच में भी जांच अधिकारी ने गंभीर अनियमितताएं पाई थीं।
शुरू से ही दोषियों को बचाने की रही कोशिश
इस मामले को शुरू से ही दबाने की कोशिश की जा रही है। पहले जनवरी, 2017 में इसकी जांच तत्कालीन सीसीएफ दयासिंह ने की लेकिन दोषी अधिकारी व कर्मचारियों को नोटिस नहीं दिए गए और न ही उच्चाधिकारियों को इस बारे में अवगत कराया गया। इसके बाद जुलाई,2017 में तत्कालीन सीसीएफ बीआर भादू ने इस प्रकरण की जांच की भ्रष्ट वनकर्मियों की करतूतों के सबूत पाए लेकिन उन्होंने भी न तो इसका खुलासा किया और न ही संबंधित लोगों के खिलाफ कार्रवाई की। इतना ही नहीं इस गंभीर प्रकरण की रिपोर्ट भी आला अधिकारियों को नहीं भेजी गई। उनके बाद आए सीसीएफ ने भी इस मामले में कोई रूचि नहीं ली। हालांकि उन्होंने कुछ छोटे कर्मचारियों को 16 सीसी का नोटिस अपने अधीनस्थ अधिकारी से दिलवा दिया था लेकिन कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की।
मुख्यमंत्री को दी जानकारी
वन कर्मियों की ओर से किए गए इस भ्रष्टाचार की जानकारी जीव रक्षा संस्था के पदाधिकारियों ने ज्ञापन के जरिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को दी गई है। मुख्यमंत्री ने मामले में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करवाने का आश्वासन दिया है।
मोखराम धारणिया, जिलाध्यक्ष, जीव रक्षा संस्था।