परम्पराओं को जिंदा रखना समाज के लिए महत्वपूर्ण : डॉ. कल्ला

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डॉॅॅॅ.बीडी कल्ला

पुष्करणा विवाह पद्धति पुस्तक का विमोचन

बीकानेर। ऊर्जा, जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री डॉॅॅॅ.बीडी कल्ला ने पं.विमल किराडू एवं पंडित अशोक रंगा द्वारा लिखित पुष्करणा विवाह पद्धति पुस्तक का विमोचन किया। उन्होंने इस पुस्तक को पुष्करणा समाज की परम्पराओं को हमेशा जिंदा रखने के लिए महत्वपूर्ण बताया।

कार्यक्रम में डॉॅॅॅ.बीडी कल्ला ने कहा कि पुष्करणा समाज मे सामूहिक विवाह बहुत पुरानी संस्कृति है। पहले चार वर्षों में सामूहिक विवाह का आयोजन होता था लेकिन अब हर साल होने लगा है। जिससे समाज के लोगों को काफी फायदा होने लगा है।

 वैवाहिक पद्धति पुस्तक को लेकर पण्डित विमाल किराडू व अशोक रंगा का आभार जताते हुए उन्होंने कहा कि आजकल लोग संस्कारों की पद्धति को भूल गए मगर इस पुस्तक के माध्यम से लोग वापस अपने संस्कारों को याद रखेंगे। पुष्करणा समाज सामूहिक विवाह का यही उद्देश्य है कि कम खर्च में शादी करना। आज के चकाचौंध वाले समय में लोग दिखावे की राह पर चले गए हैं, शादी में मंगल गीत की जगह डीजे बजाते हैं, आतिशबाजी करते हैं, यह सब मूल संस्कारों को भटकाने वाला है। ऐसे में इस प्रकार की पुस्तकें समाज के लिए मार्गदर्शक साबित होती हैं।

डॉ. गोपाल नारायण व्यास ने पुष्करणा विवाह पद्धति की उपयोगिता पर प्रकाश डाला और वर्तमान परिवेश में उपनयन संस्कार में उक्त पुस्तक की उपादयता बताई। सूर्य प्रकाश किराडू स्मृति संस्थान के चंद्र प्रकाश ने अतिथियों का आभार व्यक्त किया।

इस अवसर पर महेश व्यास, मोहन लाल किराडू, मगन बिस्सा, करतार सिंह सोढ़ी, राजेन्द्र प्रसाद पुरोहित, पण्डित रामेश्वर किराडू, घनश्याम दास रंगा, कैलाश पुरोहित, भरत रंगा, दिनेश पुरोहित, देवकीनंदन व्यास, सुरेंद्र व्यास सहित कई जने मौजूद रहे।

 

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