भारत-जापान सैन्य टुकड़ी का संयुक्त अभ्यास ‘धर्मा गार्डियन’ आज से शुरू, देखें वीडियो…

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Joint exercise 'Dharma Guardian' of India-Japan military contingent starts from today, watch video...

महाजन फिल्ड फायरिंग रेंज में दोनों देशों के सैनिक साझा करेंगे संस्कृति और युद्ध की तकनीक

जापानी दल का प्रतिनिधित्व 34वीं इन्फैंट्री रेजिमेंट और भारतीय सेना की टुकड़ी का प्रतिनिधित्व राजपूताना राइफल्स के पास

बीकानेर। भारतीय सेना और जापानी ग्राउंड सेल्फ डिफेन्स फोर्सेस के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘धर्मा गार्डियन’ का 5वां संस्करण आज महाजन फिल्ड फायरिंग रेंज में शुरू हुआ। यह अभ्यास 25 फरवरी से 9 मार्च तक आयोजित किया जाएगा।


जनसंपर्क अधिकारी रक्षा कर्नल अमिताभ शर्मा ने बताया कि ‘धर्मा गार्डियन’ एक वार्षिक अभ्यास है जो भारत और जापान में वैकल्पिक रूप से आयोजित किया जाता है। दोनों पक्षों के दल में 40 सैन्य कर्मी शामिल हैं। जापानी दल का प्रतिनिधित्व 34वीं इन्फैंट्री रेजिमेंट के सैनिकों द्वारा किया जा रहा है और भारतीय सेना की टुकड़ी का प्रतिनिधित्व राजपूताना राइफल्स की एक बटालियन द्वारा किया जा रहा है।


यह अभ्यास उच्च स्तर की शारीरिक फिटनेस, संयुक्त योजनाओं और विशेष हथियार कौशल की मूल बातों पर केंद्रित होगा। इस अभ्यास के दौरान अस्थायी ऑपरेटिंग बेस की स्थापना, खुफिया जानकारी की तैयारी, निगरानी और पूर्व-परीक्षण की तैयारी, मोबाइल वाहन चेक पोस्ट स्थापित करना, एक शत्रुतापूर्ण गांव में कॉर्डन और खोज संचालन निष्पादित करना, हेलीबोर्न संचालन और हाउस इंटरवेंशन ड्रिल शामिल होंगे। ‘आत्मनिर्भर भारत’ के तहत देश की बढ़ती रक्षा और औद्योगिक क्षमता को प्रदर्शित करते हुए हथियार और उपकरण का प्रदर्शन भी आयोजित किया जाएगा।


उन्होंने बताया कि जापान ग्राउंड सेल्फ डिफेन्स फोर्स की पूर्वी सेना के कमांडिंग जनरल ऑफिसर, लेफ्टिनेंट जनरल तोगाशी यूची भी ‘धर्मा गार्डियन’ अभ्यास के दौरान भारत का दौरा करने वाले हैं। लेफ्टिनेंट जनरल तोगाशी यूची 3 मार्च को महाजन फील्ड फायरिंग रेंज का दौरा करेंगे और कॉम्बैट शूटिंग, विशेष हेलीबोर्न ऑपरेशन और हाउस इंटरवेंशन ड्रिल देखेंगे।
‘धर्मा गार्डियन’ अभ्यास से दोनों पक्षों में स्ट्रेटेजिक संचालन की रणनीति, तकनीक और प्रक्रियाओं में अपनी सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने में सक्षम होंगे। यह अभ्यास दोनों पक्षों के सैनिकों के बीच अंतर-संचालन, मेल-मिलाप विकसित करने की सुविधा भी प्रदान करेगा। इससे रक्षा सहयोग का स्तर बढ़ेगा।

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