कोविड-19 में जारी बजट से उपकरण खरीद में धांधली का है मामला
अपनों को हमेशा बचाते आए हैं पीबीएम और मेडिकल कॉलेज के चिकित्सक
बीकानेर। सरकार की ओर से सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज को मिले कोविड-19 बजट से पीबीएम के लिए उपकरण खरीद में धांधली के मामले में जांच ज्यों की त्यों पड़ी है। मेडिकल प्राचार्य की ओर से भ्रष्टाचार के इस मामले की जांच करने के लिए गठित कमेटी ने डेढ़ महीने बाद भी रिपोर्ट जारी नहीं की है। जबकि संभागीय आयुक्त ने इस मामले की जांच रिपोर्ट जल्दी जारी करने के निर्देश दिए थे।
न्यूजफास्ट वेब को मिली जानकारी के अनुसार मेडिकल प्राचार्य डॉ. एसएस राठौड़ ने 22 जून, 2020 को भ्रष्टाचार के मामले की जांच के लिए तीन सदस्यों की एक कमेटी गठित की थी, जिसमें मेडिकल कॉलेज के अतिरिक्त प्राचार्य प्रथम डॉ. लियाकत अली गौरी, फिजोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. बीके बिनावरा और मेडिकल कॉलेज के मुख्य लेखाधिकारी मुकेश यादव को शामिल किया गया था। हैरानी की बात है कि कमेटी के गठन के डेढ़ महीने बाद भी करोड़ों रुपए की धांधली के इस मामले में जांच रिपोर्ट जारी नहीं की गई।
ये है मामला
सरकार की ओर से सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज को कोविड-19 के तहत विशेष बजट दिया गया था। इस बजट से पीसीआर मशीन, डीपफ्रीजर, वेंटीलेटर की खरीद की गई थी, जो कि बाजार से बहुत ज्यादा कीमतों में खरीदी गई थी। इतना ही नहीं इसी बजट से गैस पाइपलाइन बिछाने का कार्य भी दोगुने-तिगुने दामों में करवाए जाने के आरोप लगाए गए थे।
कमेटी में शामिल मुख्य लेखाधिकारी पर भी थे धांधली के आरोप
पीबीएम हेल्प कमेटी की ओर से इस भ्रष्टाचार के मामले में मेडिकल कॉलेज प्राचार्य, संभागीय आयुक्त और कलेक्टर को ज्ञापन दिया गया था। जिसमें मेडिकल कॉलेज की ओर से खरीद करने वाली कमेटी के चार सदस्यों डॉ. अभिषेक क्वात्रा, डॉ. यूनुस खिलजी, कॉलेज का मुख्य लेखाधिकारी मुकेश यादव और क्लर्क महेश कल्ला पर मेडिकल उपकरण खरीद में जबरदस्त धांधली करने के आरोप लगाए गए थे। हैरानी की बात तो यह है कि भ्रष्टाचार के इस मामले की जांच करने वाली कमेटी में आरोपी मुख्य लेखाधिकारी मुकेश यादव को ही शामिल कर दिया गया। ऐसे में जांच किस प्रकार होगी, ये आसानी से समझा जा सकता है।
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