केन्द्र सरकार दे अनुमति तो यहां भी हो सकती है बर्ड फ्लू की जांच, देखें वीडियो…

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If the Central Government gives permission, then there can also be a bird flu investigation

वेटरनरी विवि में स्थित है बॉयो सेफ्टी लेवल-3 लैब

राजुवास की ओर से राज्य सरकार के द्वारा केन्द्र सरकार को भेजे गए प्रस्ताव

बीकानेर। कोविड-19 के बाद देश के कई राज्यों में फैल रही बर्ड फ्लू बीमारी की जांच वेटरनरी विश्वविद्यालय में हो सकती है। इसके लिए केन्द्र सरकार की अनुमति जरूरी है। वेटरनरी विश्वविद्यालय की ओर से राज्य सरकार के द्वारा केन्द्र सरकार को इसके लिए प्रस्ताव भेजे गए हैं।

राजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ वेटरनरी एंड एनीमल हसबेंडरी (पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विवि) के निदेशक-अनुसंधान डॉ. हेमन्त दाधीच ने बताया कि इस प्रकार की जांचों के लिए लैब के कुछ मानक निर्धारित हैं, इन मानकों के आधार पर वेटरनरी विवि में बॉयो सेफ्टी लेवल(बीएसएल)-3 की लैब स्थित है। यहां बर्ड फ्लू जैसी बीमारियों की जांच का कार्य किया जा सकता है लेकिन इसके लिए केन्द्र सरकार की अनुमति बहुत जरूरी है। क्योंकि इस प्रकार की बीमारियां पशु-पक्षियों से मनुष्यों में भी फैल सकते हैं। ऐसी जांचों में लैब से वायरस फैलने की आशंका रहती है। निर्धारित मानकों के अनुसार केन्द्र सरकार बर्ड फ्लू जैसे रोगों की जांच की अनुमति देती है।

केन्द्र सरकार की अनुमति के बाद ही इस प्रकार की जांचों के लिए बॉयोलॉजिकल मैटेरियल मिलेंगे। टेस्टिंग के बाद बॉयोलॉजिकल मैटेरियल का डिस्पॉजल निर्धारित मानकों के अनुसार किया जाता है। अगर केन्द्र सरकार अनुमति दे देती है तो पक्षियों की स्क्रीनिंग करवाई जाएगी और बर्ड फ्लू का वायरस उनमें है या नहीं ये जांच की जा सकेगी। अनुमति मिलने के बाद प्रोटोकॉल का पालन करते हुए वेटरनरी विवि स्थित लैब अपनी सेवाएं प्रदेश को दे सकेगी। डॉ.दाधीच के अनुसार पशुपालन एजेन्सियों व वेटरनरी क्षेत्र में बायो सेफ्टी लेवल-3 की लैब प्रदेश में सिर्फ राजुवास में ही स्थित है।
राजुवास के कुलपति प्रो.विष्णु शर्मा ने बताया कि बर्ड फ्लू को लेकर विवि की ओर से पशु चिकित्सकों और पशुपालकों के लिए एडवाइजरी जारी की गई है। साथ ही विवि में उपलब्ध सुविधाओं की समीक्षा भी की गई है।

विवि की इस लैब से प्रदेश को ये होगा फायदा

देश के कई राज्यों में मृत पक्षियों की जांच भोपाल स्थित लैब में की जा रही है। जिसकी वजह से भोपाल स्थित लैब में काफी कार्य बढ़ गया है और कई राज्यों को जांच के परिणाम सही समय पर नहीं मिल रहे हैं। अगर राजुवास स्थित लैब को केन्द्र सरकार अनुमति दे देती है तो प्रदेश के पशुपालकों, पोल्ट्री फार्मर्स को फायदा हो सकेगा। यहां जो पक्षी काल का ग्रास बन रहे हैं, उन्हें रोका जा सकता है। अभी जांच कार्य में फोरेस्ट व एनीमल हसबेंडरी विभाग सामूहिक रूप से लगे हुए हैं, उन्हें भी जांच कार्य में फायदा मिल सकता है।

#Kamal kant sharma/Bhawani joshi www.newsfastweb.com

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