नहीं हैं टेक्निकल हैंड, कैसे होगी डेटा एन्ट्री कोडिंग
बीकानेर। ग्रामीण क्षेत्र की महिला स्वास्थ्यकर्मियों ने अपनी पीड़ा जाहिर करते हुए कहा है कि सरकार उन्हें मानदेय तो प्रतिमाह 25 सौ रुपए दे रही है और दस हजार रुपए के मोबाइल से डेटा एन्ट्री कोडिंग का कार्य करने को कह रही है। ऐसे में डेटा एन्ट्री कोडिंग कार्य करना संभव नहीं है।
न्यूजफास्ट वेब को मिली जानकारी के अनुसार केसरदेसर जाटान की महिला स्वास्थ्यकर्मियों ने पीएचसी प्रभारी अधिकारी को ज्ञापन देकर अपनी पीड़ा जाहिर की है। ज्ञापन के जरिए अवगत कराया गया है कि कोरोना महामारी के चलते ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य कर्मचारी युद्ध स्तर पर कार्य कर रहे हैं। इसके साथ ही टीकाकरण सर्वे, क्वारंटाइन, परिवार नियोजन सहित अन्य सभी राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रम नियमित रूप से किए जा रहे हैं।
ग्रामीण क्षेत्र में ये सभी कार्य ज्यादातर महिला स्वास्थ्य कर्मी ही कर रहीं हैं। अभी सरकार की ओर से हाल ही में लीसा एप लॉन्च की गई है। जिसमें घर-घर जाकर प्रत्येक व्यक्ति का डेटा व आधार कार्ड फीड करने का कार्य आशा व एएनएम को सौंपा गया है। जबकि बीपी, शुगर आदि रोगों का सर्वे एनसीडी सर्वे के तहत पहले ही पूरा किया जा चुका है।
महिला स्वास्थ्यकर्मियों ने अपनी पीड़ा बताते हुए स्वास्थ्य प्रभारी अधिकारी को अवगत कराया है कि ज्यादातर महिला स्वास्थ्यकर्मी टेक्निकल हैंड नहीं हैं, ऐसे में उन्हें डेटा एंट्री कोडिंग का कार्य सौंपा जाना उचित नहीं है। वैसे भी उनके जॉब चार्ट में डेटा एंट्री का कार्य शामिल नहीं है। उन्होंने बताया कि मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल, सीएचसी, पीएचसी में रोज आने वाले रोगियों के पंजीयन के साथ ही सर्वे कार्य किया जा सकता है।
महिला स्वास्थ्य कर्मियों ने अपनी यह पीड़ा भी विभाग के उच्चाधिकारियों को बताई कि सरकार की ओर से उन्हें प्रतिमाह महज ढाई हजार रुपए मानदेय दिया जा रहा है, डेटा एन्ट्री कोडिंग का कार्य एन्ड्रायड फोन के जरिए करने को कहा गया है, एन्ड्रायड फोन कम से कम दस हजार रुपए का आता है। कम मानदेय में वे कैसे इतना महंगा फोन ले सकती हैं।
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