न्यायमित्र व महाधिवक्ता को किन्हीं दो सरकारी अस्पतालों के औचक निरीक्षण के दिए निर्देश
जयपुर/बीकानेर। प्रदेश के कई जिलों से सरकारी अस्पतालों में नवजात बच्चों की मौत के मामले में स्व.प्रेरणा प्रसंज्ञान से दायर जनहित याचिका पर आज हाई कोर्ट ने सुनवाई की। हाई कोर्ट की खंडपीठ ने बच्चों की मौत गहरी पर चिंता जताते हुए बच्चों की मौत पर राज्य सरकार को महत्वपूर्ण निर्देश देते हुए इस मामले में जवाब मांगा है।
जानकारी के मुताबिक मामले में सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट सीजे इंद्रजीत महांति व जस्टिस पुष्पेंद्रसिंह भाटी की खण्डपीठ ने राज्य में कितने बच्चों की मौत हुई है? किन कारणों से मौत हुई है? खण्डपीठ ने रिपोर्ट तलब की है। आज खण्डपीठ ने कोटा 115 बच्चों की मौत, बीकानेर 162 व जोधपुर 146 बच्चों की मौत तथा बूंदी सहित राज्य के सभी जिलों केसरकारी अस्पतालों में नवजात की मौत किस कारण से हुई उसकी की रिपोर्ट 10 फरवरी को पेश करने के आदेश दिए हैं। खंडपीठ ने प्रदेश के सभी जिला अस्पतालों को कंप्यूटरीकृत कर ऑनलाइन करने के निर्देश जारी किए, ताकि मरीज जब अस्पताल आता है तब से उसका रिकॉर्ड मेंटेन हो सके और सही आंकड़े मिल सके।
इसके अलावा न्यायमित्र राजेंद्र सारस्वत व कुलदीप वैष्णव सहित अतिरिक्त महाधिवक्ता पंकज शर्मा को निर्देशित किया कि वे प्रदेश की किन्हीं दो अस्पतालों में औचक निरीक्षण कर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करें। अब इस मामले में10 फरवरी को फिर सुनवाई होगी।
गौरतलब है कि प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में कोटा में अब तक करीब 115, बीकानेर में 162 तथा जोधपुर में 146 नवजात बच्चों की मौत हो चुकी है। इसके अलावा झालावाड़, बूंदी, भीलवाड़ा सहित कई अन्य जिलों के सरकारी अस्पतालों में नवजात बच्चों की मौत हो चुकी है।
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