आनन-फानन दे दिए फ्लैट लेकिन सब्सिडी अभी तक नहीं

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Hastily given flats but not yet subsidy

यूआईटी की कार्यशैली व नीयत पर उठने लगे सवाल

मुख्यमंत्री जन आवास योजना की जमीनी हकीकत

बीकानेर। मुख्यमंत्री जन आवास योजना को नगर विकास न्यास के अधिकारी पलीता लगाने में जुटे हुए हैं। इस योजना के तहत सरकार की ओर से आवंटियों को आनन-फानन फ्लैट तो दे दिए गए लेकिन सब्सिडी आज तक नहीं दी गई है। चुनावी वर्ष होने की वजह से गहलोत सरकार प्रदेशवासियों में फ्री की रेवडिय़ां तो जरूर बांट रही है लेकिन अपनी घोषणा के मुताबिक आवंटियों को सब्सिडी देने में आनाकानी करती नजर आ रही है।


मुख्यमंत्री जन आवास योजना के तहत स्वर्ण जयंती आवासीय योजना में फ्लैट पाने वाले लोगोंं के मुताबिक गहलोत सरकार ने 31 अगस्त, 2022 को कैबिनेट मंत्री डॉ. बीडी कल्ला ने आवंटियों को फ्लैट की चाबी सौंपी थी और उस दौरान उन्होंने सरकार का महीमामण्डन किया था। जबकि इस योजना के तहत सितम्बर, 2020 में फ्लैट आवंटियों को दिए जाने थे। समय पर आवास नहीं मिलने पर सैकड़ों आवंटियों मेें गहलोत सरकार के प्रति आक्रोश था, इसी आक्रोश के चलते सरकार की ओर से आनन-फानन में फ्लैट आवंटित कर दिए। उस दौरान नगर विकास न्यास के अधिकारियों की ओर से कहा गया था कि सब्सिडी की राशि भी जल्द ही आवंटियों के बैंक खातों में पहुंच जाएगी। लेकिन फ्लैट दिए जाने के बाद आज दस महीने बीत गए लेकिन सब्सिडी नहीं देने की कहानी अभी तक चल रही है।

जानकारी के मुताबिक कई आवंटियों को सब्सिडी की पहली किश्त दे दी गई है और उनकी दो किश्तें अभी भी बकाया है। वहीं कई आवंटी ऐसे भी हैं जिन्हें सब्सिडी की एक भी किश्त नहीं दी गई हैं। जबकि ज्यादातर आवंटियों ने सरकार की ओर से निर्धारित समय में, निर्धारित किए गए रुपए जमा करवा दिए और अब वे लोग सब्सिडी के लिए नगर विकास न्यास कार्यालय में चक्कर लगाने को विवश हैं।
फ्लैट पाने वाले शिवलाल ने बताया कि उनके पास सब्सिडी की राशि की जानकारी लेने के लिए वे नगर विकास न्यास कार्यालय कई बार जा चुके हैं, लेकिन वहां उन्हें संतोषजनक जवाब देने वाला कोई नहीं है। न्यास के कर्मचारी हर बार कुछ ना कुछ बहाना बना कर उन्हें टरका देते हैं।

वर्ष, 2018 में लिए गए थे आवेदन

आर्थिक दृष्टि से कमजोर और अल्प आय वर्ग के लोगों के लिए लाई गई पंडित दीनदयाल आवासीय योजना के तहत मुख्यमंत्री जन आवास योजना में आशियाना लेने की चाह रखने वालों के लिए आवेदन करने की प्रक्रिया 27 जुलाई, 2018 से शुरू की गई, जो कि 16 अगस्त, 2018 तक चली। इस योजना में आशियाना लेने वाले ईडब्ल्यएस (कमजोर आय वर्ग) आवेदनकर्ताओं ने आवेदन के दौरान दो हजार और एलआईजी (अल्प आय वर्ग) के लोगों ने साढ़े तीन हजार रुपए आवेदन पत्र के साथ जमा करवाए थे। इसके बाद 6 अक्टूबर, 2018 को इसकी लॉटरी निकाली गई। लॉटरी में आए आवंटियों को किश्तों में अपने फ्लैट का भुगतान करना था, जिसमें 16 किश्तें छोटी राशि की और एक किश्त बड़ी राशि की जमा करवानी थी। ज्यादातर आवंटियों ने अपने फ्लैट का भुगतान कर दिया।

ये करना था भुगतान

इस योजना में आर्थिक दृष्टि से कमजोर वर्ग के लिए फ्लैट की कीमत 4.62 लाख रुपए निर्धारित की गई थी, जिसमें उसके फ्लैट का कारपेट क्षेत्र 350.70 वर्ग फिट का दिया जाना है। वहीं अल्प आय वर्ग में आवेदनकर्ता को 6.60 लाख रुपए का भुगतान करना था, जिसमें उसके फ्लैट का कारपेट क्षेत्र 500.21 वर्ग फिट का प्रस्तावित है। इतना ही नहीं इन दोनों वर्ग के आवेदनकर्ताओं को केन्द्र सरकार की ओर से सब्सिडी व लोन की ब्याज दर में 6.5 प्रतिशत की छूट दिए जाने का प्रावधान भी किया गया है।

राजनीति की भेंट चढ़ी ये आवासीय योजना

जानकार लोगों के अनुसार प्रदेश की तत्कालीन भाजपा सरकार ने पंडित दीनदयाल आवासीय योजना की
शुरुआत की थी। उस दौरान नगर विकास न्यास के चैयरमेन भी भाजपा नेता महावीर रांका थे। प्रदेश में सत्ता बदल कर कांग्रेस के हाथ में आ गई है। न्यास अध्यक्ष पद पर भी कांग्रेस सरकार ने नियुक्ति नहीं की है। ऐसे में न्यास अध्यक्ष का पद अभी कलक्टर के पास है। राजनीतिक हलकों में चर्चाएं हैं कि कांग्रेस सरकार ने इस योजना के प्रति कोई खास रुचि नहीं दिखाई। अगर सरकार चाहती तो इस योजना के तहत लाभान्वित लोगों को उनके आशियाने की चाबी के साथ सब्सिडी भी दे सकती थी, लेकिन अभी तक सरकार आवंटियों को सब्सिडी का भुगतान करने में उदासीनता बरत रही है।

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