कई वरिष्ठ नेता भी कर रहे हैं संतान मोह, नहीं छोड़ पा रहे राजनीतिक महत्वाकांक्षा
राजनीतिक पंडितों के अनुसार परिवारवाद कांग्रेस की है परम्परा
बीकानेर। कांग्रेस के आधा दर्जन वर्तमान विधायक इस बार होने वाले विधानसभा चुनाव नहीं लडऩा चाहते हैं। उम्र अथवा स्वास्थ्य का हवाला देकर इन विधायकों ने खुद चुनावी राजनीति से दूर हाने की बात पार्टी नेतृत्व के समक्ष कही है, लेकिन चुनावी राजनीति से दूर होने के इच्छुक सभी विधायक चाहते हैं कि उनके स्थान पर कांग्रेस का टिकट खुद के परिजनों को ही दिया जावे।
राजनीतिक सूत्रों के अनुसार वन एवं पर्यावरण मंत्री हेमाराम चौधरी ने कई बार चुनाव नहीं लडऩे की बात कही है। चौधरी चाहते हैं कि उनके स्थान पर पार्टी बेटी सुनीता को टिकट दे। पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के कट्टर समर्थक चौधरी गुढ़ामालानी सीट से विधायक हैं। वहीं पायलट के एक अन्य समर्थक पूर्व मंत्री दीपेंद्र सिंह शेखावत श्रीमाधोपुर सीट से विधायक हैं। कैंसर रोग से जूझ रहे शेखावत अपने स्थान पर बेटे बालेंदूसिंह को टिकट दिलवाने को लेकर जयपुर से दिल्ली तक लाबिंग कर रहे हैं। पिछले तीन साल से बालेंदूसिंह श्रीमाधोपुर विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय भी हैं। इसी प्रकार कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री और खंडेला सीट से विधायक महादेव सिंह अपने पुत्र गिरिराज सिंह और विधायक भरोसीलाल जाटव पुत्र बृजेश को टिकट दिलवाना चाहते हैं। दोनों नेताओं ने अपनी मंशा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व प्रदेशाध्यक्ष गोविंदसिंह डोटासरा को बताई है।
80 वर्षीय अमीन खान बेटे के लिए कर रहे लॉबिंग
पूर्व मंत्री अमिन खान और भरतसिंह भी चुनावी राजनीति से दूर होना चाहते हैं। इनमें से 80 वर्षीय अमीन खान पुत्र फतेह को चुनाव लड़वाना चाहते हैं। हालांकि कांग्रेस के जिला अध्यक्ष फतेह खां सहित कई नेता इस सीट पर दावेदारी कर रहे हैं। पिछले दिनों अमिन खान ने एक सभा में कहा था कि मुझे या मेरे बेटे को टिकट नहीं दिया तो अन्य कांग्रेस प्रत्याशी शिव विधानसभा क्षेत्र से 40 हजार वोट से हारेगा। भरतसिंह खुद तो चुनाव नहीं लडऩा चाहते हैं। लेकिन उन्होंने अपने किसी स्वजन को टिकट देने की मांग भी नहीं की है।
विधायक जौहरीलाल मीणा भी अपने बेटे को टिकट दिलवाने के पक्ष में है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की ओर से संतान मोह और राजनीतिक महत्वकांक्षा सामने आने के बाद राजनीतिक पंडितों का मानना है कि परिवारवाद तो कांग्रेस की परम्परा रही है। जिसका नुकसान भी पार्टी को कहीं ना कहीं उठाना ही पड़ रहा है।
#KAMAL KANT SHARMA / BHAWANI JOSHI www.newsfastweb.com