बढ़ा अपराधों का ग्राफ, शहरवासियों में असुरक्षा का भाव, कहां है पुलिस ?

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Graph of crimes increased, sense of insecurity among city dwellers, where is the police

जिले में शांति और कानून व्यवस्था हुई बदहाल

अवैध शराब व्यापार और मादक पदार्थों की बिक्री परवान पर

सरेआम दिया जा रहा है संगीन वारदातों को अंजाम

बीकानेर। आये दिन हो रही अपराधिक वारदातों से शहरवासी सहमें हुये हैं, लोगों में असुरक्षा का भाव व्याप्त है। कानून और शांति व्यवस्था कायम करने वाली पुलिस कहीं भी नजर नहीं आ रही है। गुंडे और बदमाश हर गली-मोहल्ले में लगातार वारदातों को अंजाम दे रहे हैं। भय की वजह से शरीफ लोगों ने बेसमय घर से बाहर निकलना ही छोड़ दिया है।


पिछले कुछ महीनों में जिले में मोबाइल और छीना झपटी कर कीमती सामान छीनने, साइकिल और अन्य वाहन चोरी, जुआ-सट्टा, रात आठ बजे बाद अवैध तरीके से शराब की बिक्री, अवैध शराब बिक्री और मादक पदार्थों के व्यापार के चलते जिला अपराधों का गढ़ बन गया है। अपराधियों में कानून का जरा भी भय नहीं रहा है। शांति और कानून व्यवस्था कायम करवाने वाली पुलिस की कार्यशैली भी लचीली नजर आने लगी है। अपराधियों को बचाने, कानून व्यवस्था भंग करने वालों को बचाने में राजनेताओं और रसूखदारों का हस्तक्षेप बढ़ गया है।


वहीं गैंगस्टर्स के लिये भी अब बीकानेर सहूलियत वाला शहर बन गया है। गैंगस्टर्स और बाहर के हार्डकोर बदमाश यहां स्थानीय बदमाशों की मदद से पनाह ले रहे हैं, फरारी काट रहे हैं। स्थानीय बदमाशों की मदद लेकर बाहर से आए बदमाश प्रवृत्ति के लोग यहां आपराधिक वारदातों को अंजाम दे रहे हैं। जिससे यहां के व्यापारियों में भय है, व्यापारियों और उद्योगपतियों को जान से मारने की धमकियां देकर फिरौती वसूल जा रही है। हैरत की बात है कि ज्यादातर मामलों में पुलिस को पूरी जानकारी है लेकिन कोई कारगर कारवाई होती नजर नहीं आ रही है। लगातार बढ़ते अपराधों की वजह से इन दिनों शहर में चर्चा है कि आखिर किसकी शह पर ये वारदातें हो रही हैं, कौन है जो अपनी पहुंच के चलते लोगों में भय पैदा करवा रहा है, कौन है जो पुलिस पर दबाव बनाए हुये है।


दरअसल, शहरवासियों को इस तरह की वारदातों की आदत नहीं है। जिस कारण उनमें भय व्याप्त होना वाजिब है। यहां के लोग मस्त और शांत प्रवृत्ति के हैं। यहां पिछले तीन-चार वर्षों में पंजाब, यूपी व बिहार में होने वाली वारदातों जैसी वारदातें होने लगी हैं जो किसी भी एंगल से उचित नहीं है। यहां व्यापारी और किसान, मजूदरी करने वालों का तबका ज्यादा है, जो कभी भी इस तरह की वारदातों में शामिल नहीं होता और न ही वे चाहते कि इस प्रकार की आपराधिक वारदातें यहां हो। लेकिन वारदातें कम होने की बजाय लगातार बढ़ती जा रही हैं।


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