गहलोत सरकार का बड़ा कदम, शिलालेखों पर भी नहीं होंगे नाम
बीकानेर। प्रदेश में अब सरकारी अधिकारी साफा और माला नहीं पहन सकेंगे। अशोक गहलोत सरकार ने सरकारी अधिकारियों के किसी भी समारोह में साफा और माला पहनने पर रोक लगा दी है। यह भी तय किया है कि सरकारी भवनों का उद्घाटन या लोकार्पण अधिकारी नहीं कर सकेंगे और ना ही उनके नाम शिलालेख पर लिखे जाएंगे।
सियासत से जुड़े लोगों ने न्यूजफास्ट वेब को बताया कि सरकारी भवनों के उद्घाटन व लोकापर्ण सिर्फ जनप्रतिनिधि ही करेंगे, सरकारी अधिकारी नहीं। इसके साथ ही गहलोत सरकार ने राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की शक्तियों में बढ़ोतरी करते हुए उन्हें अधीनस्थ सवाओं व मंत्रालयिक कर्मचारियों को चार्जशीट देने से लेकर दो वार्षिक इंक्रीमेंट रोकने का पॉवर दिया है।
मातहत के खिलाफ कार्रवाई का अधिकार
न्यूजफास्ट वेब को मिली जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के निर्देश पर प्रशासनिक सुधार विभाग ने एक परिपत्र जारी कर सभी प्रमुख सचिवों, विभागाध्यक्षों व जिला कलेक्टरों को निर्देश दिए हैं कि सरकारी खर्चे पर होने वाले किसी भी समारोह में वे साफा और माला नहीं पहनें ना ही शिलालेख पर अपना नाम लिखवाएं। सरकारी समारोह में जनप्रतिनिधियों को आमंत्रित करने के भी निर्देश दिए हैं। ऐसा नहीं करने वाले अधिकारियों के खिलाफ राजस्थान सिविल सेवा (आचरण) सेवा नियम-1971 के तहत कार्रवाई की जाएगी।
दरअसल, सत्तारूढ़ दल कांग्रेस के नेताओं की शिकायत थी कि सरकारी कार्यक्रमों में विधायकों, पंचायत समिति प्रधान या ग्राम पंचायत के सरपंच को नहीं बुलाया जाता है। इसे देखते हुए सरकार ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि सरकारी उद्घाटन व लोकापर्ण समारोह में सांसद से लेकर सरपंच तक जनप्रतिनिधियों को आमंत्रित करें। जनप्रतिनिधियों के प्रति शिष्टता और सम्मान भी दर्शाया जाए।
गहलोत सरकार ने फील्ड में तैनात राज्य प्रशासनिक सेवा (आरएएस) अधिकारियों को अधीनस्थ सेवाओं व मंत्रालयिक कर्मचारियों को चार्जशीट देकर दो वार्षिक इंक्रीमेंट रोकने के भी पॉवर दिए हैं। इस निर्णय के बाद उपखंड अधिकारी के पद पर तैनात आरएएस अफसर सरकारी सेवा में लापरवाही बरतने वाले कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई कर सकेंगे। इस निर्णय के बाद निचले स्तर पर सरकारी कामकाज व्यवस्थित ढंग से होने की उम्मीद है। गौरतलब है कि गहलोत सरकार के मंत्रियों ने ही अपने शासन में अफसरशाही हावी होने की शिकायत की है।