अगली सरकार के लिए आसान नहीं होगा ‘शासन’

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Governance will not be easy for the next government

सीएम अशोक गहलोत ने अगले मुख्यमंत्री के लिए कर दिए हैं ‘पुख्ता प्रबंध’

आरबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष, 2022-23 के दौरान कर्ज हुआ 5,37,013 करोड़ रुपए

बीकानेर। दिसम्बर में प्रदेश में बनने वाली नई सरकार के लिए इस बार शासन करना आसान नहीं होने वाला है। इसका मुख्य कारण इस चुनावी वर्ष में सत्तारूढ़ सरकार ने आने वाली सरकार के लिए ‘पुख्ता प्रबंध’ कर दिए हैं। आरबीआई की रिपोर्ट के अनुसार अभी राजस्थान का कर्ज 5,37,013 करोड़ रुपए है, दिसम्बर तक इसके और बढ़ जाने की संभावना है।


राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार चुनाव से पहले वोटर्स को लुभाने के लिए योजनाओं के जरिए पैसा बहाया जा रहा है। प्रदेश में इस तीमाही यानी अप्रैल से अगस्त तक सरकार 12,288 करोड़ कर्ज ले चुकी है, जबकि अक्टूबर-दिसंबर में 14000 करोड़ और कर्ज लेगी। आरबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक तो 2022-23 के दौरान राजस्थान का कर्ज बढक़र 5,37,013 करोड़ हो गया है। जो एक साल पहले 4,58,089 करोड़ रुपए था। राजस्थान सरकार भी बॉन्ड बाजार में जा रही है। पंजाब के बाद ये प्रदेश देश में सबसे ज्यादा कर्ज में डूबा हुआ है। वोटर्स को लुभाने के लिए राज्य सरकार फ्री ब्री योजनाएं या जिन्हें सामाजिक न्याय की योजनाएं बता रही है, उन पर जमकर पैसा बहा रही है। पिछले 6 महीने में आधा दर्जन बड़ी योजनाओं में काफी पैसा आवंटित किया गया है।


राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लगने से पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत चुनाव जीतने का हर दांव खेल रहे हैं। वे हर दिन ऐसे फैसले ले रहे हैं जिससे आने वाले चुनावों में कांग्रेस को फायदा हो सके। अभी कुछ दिन पहले महिलाओं को रोडवेज में मंथली पास बनाने पर किराए में 90 फीसदी की छूट, मंत्रालयिक कर्मचारियों की समस्याओं के निराकरण के लिए निदेशालय के गठन और गिग वर्कर्स के खातों में 5-5 हजार रुपए डालने का ऐलान किया था। 19 नए जिलों के गठन के बाद सीएम गहलोत ने 6 अक्टूबर को 3 नए जिलों के गठन का ऐलान कर दिया। अब जातिगत जनगणना के बयान साथ ही अलग-अलग जातियों के लोगों को साधने के लिए 8 बोर्डों के गठन को मंजूरी दी है। इससे पहले भी एक दर्जन से ज्यादा बोर्ड गठित कर दिए गए हैं। ऐसे में अब कयास लगाए जाने लगेे हैं कि आने वाली सरकार को लेकर सीएम गहलोत की नीयत कुछ अलग ही है।


वही कुछ राजनीतिक पंडितों का यह भी मानना है कि इस बार के विधानसभा चुनाव में अगर कांग्रेस दोबारा जीत भी जाती है तो पार्टी आलाकमान अशोक गहलोत की बजाय सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बना सकते हैं और इस बारे में आलाकमान ने गहलोत और पायलट को साफ शब्दों में संदेश भी दे दिया है। जिसकी वजह से अशोक गहलोत कांग्रेस के प्रति पूरी निष्ठा दिखाते हुए कांग्रेस को दोबारा यहां सत्ता में लाने की कोशिशों में जुटे हैं। अगर कांग्रेस दोबारा सत्ता में आजाए तो बतौर मुख्यमंत्री सचिन पायलट के लिए शासन की राहें आसान नहीं रहें।

#KAMAL KANT SHARMA / BHAWANI JOSHI www.newsfastweb.com

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