अब 2021 में होगी सुनवाई
एक्ट में संशोधन कर पहुंचा रहे फायदा
बीकानेर। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का बंगला बचाने के लिए गहलोत सरकार फिर से हाइकोर्ट पहुंच गई है। आदेश के बावजूद वसुंधरा राजे से बंगला खाली नहीं कराने पर राजस्थान हाइकोर्ट ने प्रदेश के मुख्य सचिव को अवमानना का नोटिस दिया था।
जयपुर बैठे सूत्रों से मिली जानकारी केे मुताबिक अवमानना की नोटिस पर मुख्य सचिव राजेश स्वरूप ने हाइकोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा है कि आवंटन के जिन नियमों को राजस्थान हाइकोर्ट ने गलत बताया था, वे नियम अब लागू नहीं होते हैं, उस कानून को ही खत्म कर दिया गया है और वसुंधरा राजे को नया कानून बनाकर बंगला आवंटित किया जा रहा है, इसलिए आदेश की अवहेलना का मामला नहीं बनता है।
वसुंधरा राजे सरकार ने राजस्थान मिनिस्टर सैलरी एक्ट-2017 के तहत प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों को बंगला सहित बहुत सारी सुविधाएं देने का प्रावधान किया था, जिसे राजस्थान हाइकोर्ट ने गलत माना था। राजस्थान सरकार फंसी तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वसुंधरा राजे के 13 नंबर के सिविल लाइंस बंगले को बचाने के लिए 1 अगस्त, 2020 के दिन राजस्थान विधानसभा एक्ट-1956 की धारा-6 में उप धारा-6 जुड़वा दी, जिसके तहत किसी भी सीनियर एमएलए को विधानसभा बंगला आवंटित कर सकती है।
इसी आधार पर प्रदेश के मुख्य सचिव ने राजस्थान हाइकोर्ट में कहा कि सीनियर विधायक होने की वजह से हमने नहीं, बल्कि विधानसभा ने उनको बंगला आवंटित किया है। इस मामले में याचिकाकर्ता मिलापचंद डांडिया की ओर से वकीलों ने दलील दी कि 4 सितंबर, 2019 को ही अदालत ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को सुविधाएं देने के संबंध में आदेश रद्द कर दिए थे। उसके बावजूद कोर्ट के आदेश की अवहेलना कर सरकार ने वसुंधरा राजे का बंगला बचाए रखा है। इसलिए अवमानना का मामला बनता है।
राजस्थान हाइकोर्ट ने अब इस मामले की सुनवाई जनवरी, 2021 तक टाल दी है। ऐसे में अब कयास लगाए जा रहे हैं कि नए साल में ही यह मामला निपट सकेगा।
#Kamal kant sharma/Bhawan joshi www.newsfastweb.com