चुनावों से पहले कांग्रेस ने घोषणा पत्र में किया था वादा
चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी से भी कम है वेतन
बीकानेर। कोरोनाकाल में फ्रन्ट मोर्चे पर तैनात आयुष चिकित्सकों को प्रदेश की गहलोत सरकार ने भुला दिया है। विधानसभा चुनाव से पहले किए गए वादे को भी कांग्रेस भूल गई है। पौने दो साल पहले किए गए वादे को याद दिलाने के लिए अब प्रदेशभर में आयुष चिकित्सक कार्य बहिष्कार कर रहे हैं।
यहां कलेक्टर कार्यालय के सामने धरने पर बैठे आयुष संघर्ष समिति के अध्यक्ष डॉ. बादरराम प्रजापत, स्टेट कॉर्डिनेटर डॉ. गजेन्द्रसिंह व डॉ. संदीप सेन ने न्यूजफास्ट वेब को बताया वर्ष, 2018 को कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में यह वादा किया था कि वह सत्ता में आई तो प्रदेश में संविदा पर कार्य कर रहे सभी को नियमित किया जाएगा। लेकिन सत्ता में आने के बाद कांग्रेस नेता अपना वादा भूल गए हैं। इतना ही नहीं प्रदेश भर में आयुष चिकित्सक अपने हकों के लिए पिछले 20 दिनों से कार्य बहिष्कार कर रहे हैं लेकिन गहलोत सरकार उनकी जरा भी नहीं सुन रही है।
आयुष चिकित्सकों ने बताया कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक उनका वेतन 39,300 रुपए बेसिक होना चाहिए लेकिन सरकार ने उनके लिए मनमर्जी से 22180 रुपए का मानदेय निर्धारित कर रखा है, जो कि चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के वेतन से भी कम है।
बताया जा रहा है कि अभी हाल ही में आयुष चिकित्सकों के प्रतिनिधिमण्डल और चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री के बीच वार्ता भी हुई थी, जिसमें आयुष चिकित्सकों ने अपने हितों से जुड़ी दो प्रमुख मांगों को चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा के सामने रखा। इसके बाद चिकित्सा मंत्री ने प्रशासनिक अधिकारियों को संबंधित कार्रवाई करने के निर्देश भी दिए लेकिन अभी तक इस संबंध में कोई सकारात्मक कार्रवाई होते दिखाई नहीं दी है।
वहीं कोरोनाकाल में आयुष चिकित्सकों की मांगों पर ध्यान नहीं दिया जाने को लेकर राजनीति से जुड़े लोगों चचाएं की जा रही है कि गहलोत सरकार में ब्यूरोक्रेसी बहुत हावी है। प्रशासनिक अधिकारी अपनी मनमर्जी से कार्य कर रहे हैं, मंत्रियों के निर्देश को भी अनसुना किया जा रहा है। कुछ दिनों पहले कुछ मंत्रियों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से इस बारे में शिकायत भी की थी लेकिन अभी भी प्रदेश में ब्यूरोक्रेसी बेलगाम नजर आ रही है।
#Kamal kant sharma/Bhawani joshi www.newsfastweb.com