कागजों में दफन हुआ आतिशबाजी मार्केट, व्यवसायी अब भी इंतजार में

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आतिशबाजी मार्केट

सामने आ रही सरकार और प्रशासन की बेपरवाही, हर दीपावली पर बाजारों में ही लगती हैं अस्थाई दुुकानें

बीकानेर। सरकार और प्रशासन की बेपरवाही से शहर में आतिशबाजी मार्केट आबाद नहीं हो रहा है। पटाखा व्यवसायी पिछले कई वर्षों से नगर विकास न्यास से कब्जा दिए जाने की उम्मीद लगाए बैठे हैं। हैरानी की बात तो यह है कि आतिशबाजी मार्केट मे भूखण्ड देने के लिए नगर विकास न्यास ने पटाखा व्यवसायियों से रुपए तो ले लिए लेकिन आज तक उन्हें भूखण्ड का कब्जा नहीं दिया है। जिसकी वजह से इस बार भी दीपावली पर बाजारो और गली-मोहल्लों में ही आतिशबाजी की अस्थाई दुकानें लगी हैं।

आतिशबाजी व्यवसायी वीरेन्द्र किराडू ने न्यूजफास्ट वेब को बताया कि शहर में चल रही पटाखों की दुकान में आग लगने की कई घटनाओं के बाद जिला प्रशासन ने आबादी से कुछ दूर एक ही स्थान पर आतिशबाजी मार्केट स्थापित करने की योजना बनाई और पटाखा व्यवसायियों से विचार-विमर्श कर वर्ष-2013 में नगर विकास न्यास की ओर से आतिशबाजी मार्केट के लिए शिवबाड़ी मंदिर के पास भूमि अलॉट की गई थी। इस मार्केट में दुकानों के लिए लॉटरी भी निकाली गई और करीब 37 व्यवसायियों को उनकी जरूरत के अनुसार 10 गुणा 20 और 15 गुणा 25 फिट साइज के भूखण्ड अलॉट कर दिए गए। सितम्बर-2013 में भूखण्ड लेने वाले पटाखा व्यवसायियों से रुपए भी जमा करवा लिए गए।

पटाखा व्यवसायियों ने न्यूजफास्ट वेब को बताया कि छोटे साइज के भूखण्ड के लिए 50 हजार और बड़े साइज के भूखण्ड के लिए एक लाख रुपए के तौर पर तकरीबन 30-35 लाख रुपए न्यास ने लिए थे। उस दौरान नगर विकास न्यास के तत्कालीन अध्यक्ष मकसूद अहमद ने प्रस्तावित आतिशबाजी मार्केट का शिलान्यास कर दिया और मौके पर शिलालेख लगवा दिया। हैरानी की बात है कि आज छह वर्ष बीतने के बाद भी आतिशबाजी मार्केट आकार नहीं ले सका है। इससे भी ज्यादा हैरान करने वाली बात तो यह है कि न्यास की ओर से आजतक पटाखा व्यवसायियों को भूखण्ड का कब्जा ही नहीं दिया गया है। इस प्रस्तावित मार्केट की जमीन पर लगा शिलालेख भी जमींदोज हो गया है और शिलालेख को लगाने के लिए खम्भें भी। प्रस्तावित आतिशबाजी मार्केट आज भी बंजर जमीन हुआ नजर आ रहा है।

पिछले पांच वर्षों में तो जरा भी नहीं ली सुध

वर्ष-2013 के अंतिम महीनों में प्रदेश की सत्ता बदल गई और शासन भाजपा सरकार के पास हो गया। इसके बाद भी आतिशबाजी मार्केट की कोई सुध नहीं ली गई। नई सरकार के सत्ता में आने के बाद नगर विकास न्यास के अध्यक्ष भी बदल गए। न्यास के नए अध्यक्ष महावीर रांका ने भी आतिशबाजी मार्केट को अमलीजामा पहनाने के लिए कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया। पटाखा व्यवसायी लगातार भूखण्ड का कब्जा देने और प्रस्तावित आतिशबाजी मार्केट में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए न्यास कार्यालय सहित अन्य संबंधित कार्यालय के चक्कर लगाते रहे। newsfastweb.com

 आतिशबाजी मार्केट

नया नहीं है न्यास का निकम्मापन

नगर विकास न्यास का निकम्मापन कोई नया नहीं है। आतिशबाजी मार्केट को आबाद करने के लिए पटाखा व्यवसायी छह वर्षों से इंतजार कर रहे हैं तो पत्थरमंडी को आकार देनें के लिए पत्थर व्यवसायी पिछले 15 वर्षों से। घड़सीसर के पास स्थापित की गई पत्थरमंडी भी इतने वर्षों बाद आबाद नहीं हो सकी है। हालांकि नगर विकास न्यास की ओर से कई योजनाएं बना कर विभिन्न व्यवसायिक संगठनों को जमीन अलॉट कर दी जाती है लेकिन उस जमीन पर मूलभूत सुविधाएं देने के नाम पर न्यास का निकम्मापन सामने आ जाता है।

इतना ही नहीं नगर विकास न्यास की स्वर्ण जयंती योजना और जोड़बीड आवासीय योजना का भी यही हाल है। यहां भी भूखण्डों के लिए लॉटरी निकाल दी गई और आवेदकों से रुपए ऐंठ लिए गए लेकिन मौके पर मूलभूत सुविधाओं के नाम पर न्यास की ओर से कुछ भी नहीं।

kamal kant sharma newsfastweb.com

 

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