विधानसभा चुनाव पर अनुमानित खर्च होंगे 300 करोड़ रुपए, कीमती है हर वोट

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Estimated expenditure on assembly elections will be Rs 300 crore, every vote is precious

एक मत पर 100 गुणा से ज्यादा बढ़ गया खर्च, 5 करोड़ 25 लाख हैं मतदाता

सबसे पहले विधानसभा चुनाव में प्रति मत खर्च आया था 46 पैसे

बीकानेर। प्रदेश में कौनसे राजनीतिक दल की सरकार बनेगी उसका फैसला 3 दिसंबर को होगा। यहां की राजनीति में मतदाताओं का मिजाज दल बदल का रहा है यानी कि कोई एक दल दोबारा सरकार बनाने में अब तक नाकाम रहा है। क्या यह ट्रेंड टूट जाएगा या मतदाता अपने मत के जरिए अपने मुखिया को बदल देंगे। इन सबके बीच यहां हम सिर्फ हर एक वोट की कीमत बताएंगे। इसका मतलब यह है कि हर एक वोट जो अब कर बैलट बॉक्स या ईवीएम में कैद होता रहा है उसके लिए चुनाव आयोग कितना खर्च करना पड़ा है।


मीडिया रिपोर्ट के अनुसार वर्ष, 2023 के विधानसभा चुनाव में कुल 200 सीटों के लिए 53 हजार से अधिक मतदान केंद्र बनाए जाएंगे। इससे पहले वाले चुनाव यानी वर्ष, 2018 के चुनाव में आयोग को कुल 203 करोड़ रुपए खर्च करने पड़े थे और इस बार अनुमानित खर्च 300 करोड़ रुपए तक जा सकता है। यहां यह सवाल कौंध रहा होगा कि इतना खर्च क्यों? इस सवाल का जवाब भी साफ है। दरअसल, आयोग चुनाव को पारदर्शी बनाने के साथ जनता को और सुविधा देने के लिए खर्च में इजाफे का फैसला किया है।

पहले चुनाव में खर्च हुए थे करीब 46 पैसे


राजस्थान में पहली बार जब विधानसभा के चुनाव हुए तो मतदाताओं की संख्या कुल 48 लाख के करीब थी और प्रति मत पर 46 पैसे खर्च हुए। अगर इसकी तुलना 15वीं विधानसभा चुनाव से करें तो खर्च 51 रुपए के पार चला जाएगा। वजह यह है कि इस समय मतदाताओं की संख्या करीब 5.25 करोड़ है और अनुमानित 300 करोड़ रुपए खर्च से प्रति मतदाता यह कीमत 51 रुपए के करीब होगी।

यहां होता है खर्च


प्रदेश में 1962 के चुनाव में मतदाताओं की संख्या एक करोड़ तीस लाख के करीब थी। उस समय 176 सीटों के लिए चुनाव कराए गए थे और कुल खर्च 48 लाख रुपए आए थे यानी कि उस वक्त प्रति वोटर खर्च 46 पैसे के करीब था। यह खर्च आने वाले हर विधानसभा चुनावों में बढ़ता गया। वर्ष, 2018 में यह खर्च करीब 92 गुणा बढक़र करीब 42 रुपए हो गया। अब यह सवाल भी उठता है कि चुनाव आयोग इतना खर्च कहां और कैसे करता है? दरअसल, आयोग के खर्चे में टीए, डीए खर्च, पोलिंग पार्टियों का किरायाए, वीडियो सर्विलांस टीमए, वेबकॉस्टिंग, टेंट, लाइट, माइक, भोजन, वीडियोग्राफी, मतदान सामग्री, मतदाताओं को जागरुक करने वाली सामग्री, जीपीएस ट्रैकिंग, प्रिंटिंग, अस्थाई निर्माण कार्य, ईवीएम को एक जगह से दूसरी जगह पर ले जाना शामिल होता है।

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