सूचना आयोग ने लगाया जुर्माना, कॉलेज प्रशासन ने नहीं की अपनी जेब ढीली।
बीकानेर। भ्रष्टाचार के तालाब में डूबे बीकानेर इंजीनियरिंग कॉलेज प्रशासन ने सूचना आयोग की ओर से लगाई गई शास्ति (जुर्माना) का भुगतान भी कॉलेज के कोष से कर दिया। इतना ही नहीं सूचना आयोग में सुनवाई के लिए आने-जाने, ठहरने आदि कार्यों में खर्च हुई राशि का भुगतान भी कॉलेज के कोष से किया गया। हैरानी की बात तो यह है कि अपने चहेतों को नौकरी दिलवाले वाले नेताओं और अन्य रसूखदारों ने इस शिक्षा मंदिर को गर्त में जाने से रोकने के लिए कभी कोई कारगर कोशिश नहीं की। हालात यह हो गए हैं कि अभिभावक अपने बच्चों को इस बदनाम कॉलेज में प्रवेश दिलवाने से भी डरने लगे हैं।
गौरतलब है कि बीकानेर इंजीनियरिंग कॉलेज में किए गए भ्रष्टाचार की उच्च स्तरीय जांच हुई। आरटीआई कार्यकर्ता विजय कुमार शर्मा की ओर से सूचना के अधिकार कानून के सहारे निकलवाए गए दस्तावेजों से इस कॉलेज का भ्रष्टाचार आमजन के सामने आया है।
जांच रिपोर्ट के अनुसार सूचना के अधिकार कानून के तहत प्रार्थी की ओर से मांगी गई जानकारी उपलब्ध नहीं करवाने पर राजस्थान सूचना आयोग की तरफ से बीकानेर इंजीनियरिंग कॉलेज के ओमप्रकाश जाखड़ पर दस जुलाई,2014 को 25 हजार रुपए की शास्ति लगाई गई थी। जिसका भुगतान 30मार्च,2015 को कॉलेज के कोष से किया गया। इसी प्रकार एक अन्य मामले में इंजीनियरिंग कॉलेज के अर्जुनराम चौधरी पर 24नवम्बर,2015 को 25 हजार रुपए की शास्ति लगाई थी जिसका भुगतान 21मार्च,2016 को कॉलेज के कोष से किया गया।
सुनवाई के लिए आने-जाने,ठहरने का खर्च भी कॉलेज से
जयपुर स्थित राज्य सूचना आयोग में सुनवाई के लिए जाने के लिए भी कॉलेज प्रशासन ने संस्था कोष को ही चूना लगाया। विशेष जांच में यह सामने आया कि आरटीआई/कोर्ट से सम्बंधित यात्राओं के खर्च 3102289 रुपए का भुगतान भी कॉलेज के भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों ने कॉलेज कोष से उठा लिया।
आरटीआई और न्यायिक प्रकरणों के संबंध में पैरवी करने के लिए अधिवक्ताओं को 501772 रुपए का भुगतान बतौर शुल्क किया गया है।
बीकानेर इंजीनियरिंग कॉलेज में पढऩे वाले विद्यार्थियों के शुल्क से अय्याशी कर रहे ये अधिकारी और कर्मचारी राजनेताओं और रसूखदारों से मिले संरक्षण से आज भी खुले घुम रहे हैं।
वसूली के आदेश हुए जारी
बीकानेर इंजीनियरिंग कॉलेज प्रशासन की ओर से किए गए घोटाले की उच्च स्तरीय जांच हुई है। जिसकी रिपोर्ट की प्रमाणित प्रतिलिपी सूचना के अधिकार कानून के तहत हासिल की गई है। इस रिपोर्ट में कॉलेज प्रशासन की ओर से व्यापक भ्रष्टाचार कर करोड़ों रुपए का गबन किया गया है। वसूली के आदेश जारी हो चुके हैं।
विजय कुमार शर्मा, आरटीआई कार्यकर्ता।