राजनीतिक नियुक्तियों के इंतजार में कांग्रेस कार्यकर्ता ! कब मिलेगा उसे उसका इनाम ?

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Congress workers waiting for political appointments! When will he get his reward?

विधानसभा चुनाव में महज कुछ महीने ही हैं शेष

पार्टी गुटबाजी चक्कर में तय नहीं कर पा रही है नाम

बीकानेर। प्रदेश में कांग्रेस सरकार ने अपने चार साल के कार्यकाल के दौरान राजनीतिक नियुक्तियों का तोहफा कार्यकर्ताओं को अभी तक नहीं दिया है। ऐसे में कांग्रेस कार्यकर्ता अभी भी राजनीतिक नियुक्तियों के इंतजार में हैं।


राजनीतिक पंडितों के अनुसार अब सरकार और संगठन चुनाव मैदान में जाने को तैयार है। विधानसभा चुनाव में महज कुछ महीने शेष हैं। ऐसे में अभी कई जिलों में जिलाध्यक्ष की नियुक्ति नहीं हो पाई है। पिछले दिनों कुछ नियुक्तियां हुईं, लेकिन फिर ब्रेक लगता दिख रहा है। कांग्रेस सरकार को प्रदेश के हर जिले से हजारों कार्यकर्ताओं को जिलों में राजनीतिक नियुक्ति देनी थी। उन्हें सिस्टम से जोडऩे के लिए सरकार को ये प्रयास करने थे, मगर पार्टी अभी गुटबाजी के चक्कर में नाम तय नहीं कर पा रही है और कांग्रेस के कार्यकर्ता बस इंतजार में ही बैठे हैं।
राजनीतिक नियुक्तियों के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं को और कितना इंतजार करना पड़ेगा? इस सवाल का जवाब न तो संगठन की ओर से दिया जा रहा है और न ही सरकार कुछ कह पा रही है। सूत्र बताते हैं कि इसका असर चुनाव पर पड़ सकता है। कांग्रेस कार्यकर्ता बेहद दुखी और नाराज भी हैं। कुछ ने बताया कि हमने लाठी खाई और खून-पसीने बहाकर सरकार बनाने के लिए जान लड़ा दी और अब भी उसका इनाम नहीं मिला है।

राहुल गांधी बोले थे-सरकार में कार्यकर्ता की हनक होनी चाहिए

राजनीतिक पंडितों के अनुसार भारत जोड़ो यात्रा के दौरान अलवर में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा था कि कांग्रेस कार्यकर्ता की हनक सरकार में दिखनी चाहिए। उन्होंने कहा था कि कार्यकर्ता और नेता के बीच की रस्सी तोडऩी होगी। उनके बयान का असर तब दिखा जब बजट पेश होने वाला था। प्रदेश के कार्यकर्ताओं को बुलाया गया और उनकी राय भी ली गई। उसके बाद बजट में उनके सुझाव को शामिल करने की बात भी की गई।

कुछ ऐसी होनी थी नियुक्ति

राजस्थान में सरकार बनने के बाद प्रदेश में संगठन को बहुत मजबूत करने के लिए जिले और ब्लॉक स्तर पर हजारों छोटी-बड़ी नियुक्तियां होनी थी। कुछ की नियुक्ति हुई लेकिन फिर अटक गई। यहां कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडेय, अजय माकन और अब सुखजिंदरसिंह रंधावा आए हैं। सबने उम्मीद दिखाई और कार्यकर्ता में एक आस जगी, फिर मामला फंस गया। अब इस साल के भी सवा तीन महीने बीत चुके हैं। ऐसे में इंतजार में कार्यकर्ताओं के सिर से पानी ऊपर निकल रहा है।
प्रदेश में चुनाव होने में भले ही कम समय बचा हो लेकिन पार्टी संगठन में बदलाव और सरकार में बदलाव को लेकर मेहनत कर रही है। यही महीना बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस महीने के बाद संगठन में बदलाव और नियुक्ति पर ब्रेक लगने की बात भी कही जा रही है।

#KAMAL KANT SHARMA / BHAWANI JOSHI www.newsfastweb.com

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