पार्टी के आला पदाधिकारियों और मीडियाकर्मियों के सामने पूर्व संसदीय सचिव गोविन्दराम मेघवाल और जिला देहात अध्यक्ष महेन्द्र गहलोत के बीच हुई बहस।
बीकानेर। कांग्रेस की ओर से सोमवार (कल) को भारत बंद के आह्वान पर आज सरकिट हाउस में प्रेसवार्ता के दौरान पार्टी के नेताओं में कुर्सी को लेकर कहासुनी हो गई। पूर्व संसदीय सचिव गोविन्दराम मेघवाल और जिला देहात अध्यक्ष महेन्द्र गहलोत के बीच काफी देर तक बहसबाजी हुई।
दरअसल, आज सरकिट हाउस में मीडिया को बुलवाया गया। मीडिया के पहुंचने से पहले पार्टी की नेता रेहाना रियाज, गोविन्दराम मेघवाल, यशपाल गहलोत, महेन्द्र गहलोत सहित कई नेता पहले से ही मौजूद थे।
प्रेसवार्ता शुरू करने के लिए कांग्रेस नेता भरतराम मेघवाल और डॉ. बीडी कल्ला सरकिट हाउस पहुंचे तो उनके सम्मान में रेहाना रियाज और यशपाल गहलोत खड़े हो गए और अपनी कुर्सियां देकर उन्हें बैठने का आग्रह किया। भरतराम मेघवाल और डॉ. कल्ला उनकी दी हुई कुर्सियों पर बैठ गए।
इसी बीच वहां मौजूद किसी कांग्रेस पदाधिकारी ने गोविन्दराम मेघवाल को कुर्सी पर से उठने को कहा तो वे उठ गए। कांग्रेस के पदाधिकारी ने महेन्द्र गहलोत को गोविन्दराम मेघवाल द्वारा खाली की गई कुर्सी पर बैठा लिया।
अपनी खाली की गई कुर्सी पर महेन्द्र गहलोत को बैठता देख कर गोविन्दराम मेघवाल का पारा सातवें आसमान पर चला गया और उन्होंने अपनी पार्टी के शीर्ष नेताओं और मीडिया कर्मियों के सामने ही वे तेश में आकर बोले कि ‘मैं प्रभारी के लिए कुर्सी छोड़ सकता हूं, कल्ला के लिए कुर्सी छोड़ सकता हूं लेकिन जिलाध्यक्ष मुझसे बड़ा कैसे हो गया। वे यहां भी नहीं रूके। मेघवाल ने कहा कि इतना हल्का मत बनाइये। महेन्द्र तो जूनियर है।’
जवाब में महेंद्र गहलोत ने दलील रखी कि मैं पार्टी का जिलाध्यक्ष हूं। इसके बावजूद भी गोविन्दराम मेघवाल की त्यौरियों पर बल नजर आए। बाद में कांग्रेस के अन्य नेताओं ने मेघवाल को मनाकर शांत किया और उनके लिए वहीं पास में ही कुर्सी लगवाई।
गौरतलब है कि कांग्रेस जिला देहात अध्यक्ष महेन्द्र गहलोत नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी के गुट के माने जाते हैं। पार्टी के इन दोनों नेताओं के बीच पहले भी कई बार फूट खुलकर सामने आती देखी गई है।
दोनों नेताओं की बीच हुई खींचतान कई बार यहां के समाचार पत्रों और न्यूज चैनलों की सुर्खियां बन चुकी है। विधानसभा चुनाव से पहली दो धड़ों में बंटी कांग्रेस को एकजुट करना प्रदेश के नेताओं के लिए काफी भारी पड़ता दिखाई दे रहा है।