कांग्रेस : महिलाओं को टिकट देने का मामला धरातल पर अलग

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राहुल गांधी

जमीनी होमवर्क नहीं है बड़े नेताओं के पास, पीसीसी परेशान। 
400 ब्लॉक अध्यक्षों में से सिर्फ 6 महिलाओं को मिला प्रतिनिधित्व। 

बीकानेर। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने विधानसभा चुनाव में महिलाओं को पर्याप्त प्रतिनिधित्व देने की बात तो कह दी लेकिन प्रदेश कांग्रेस में महिलाओं को प्रतिनिधित्व देने का मामला धरातल पर कुछ और ही नजर आ रहा है।

राहुल गांधी ने आगामी चुनाव में महिलाओं को ज्यादा प्रतिनिधित्व देने की बात कह देने से प्रदेश में कई महीनों से टिकट बंटवारे को लेकर की जा रही कवायद में लगे पार्टी के बड़े नेताओं की नींद उड़ा दी है। 21 सितम्बर को सागवाड़ा में हुई कांग्रेस की रैली में राहुल गांधी ने दो टूक कहा था कि अगर महिलाओं के नाम पैनल में नहीं दिखे तो उस सूची को हरी झंडी नहीं मिलेगी।

राहुल गांधी की इस नसीहत के बाद प्रदेश कांग्रेस के सभी बड़े नेता काफी परेशान हैं, क्योंकि प्रदेश में महिलाओं को टिकट देने को लेकर कोई ठोस जमीनी होमवर्क नहीं किया गया है।

राजनीतिक सूत्रों के मुताबिक प्रदेश में दो सौ में से करीब तीन दर्जन सीटों पर महिलाओं की मजबूत दावेदारी है, पार्टी का शीर्ष नेतृत्व भी करीब चालीस सीटों पर महिलाओं को प्रतिनिधित्व देना चाहता है। अब इसको लेकर प्रदेश में बड़े नेताओं के बीच मंथन किया जा रहा है।

नए सिरे से कवायद शुरू

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के बयान के बाद से ही प्रदेश में महिला दावेदारों को लेकर नए सिरे से कवायद शुरू हो गई है।

राजनीति से जुड़े लोगों के मुताबिक 21 सितम्बर को दिल्ली में प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे, पीसीसी चीफ सचिन पायलेट, संगठन महामंत्री अशोक गहलोत सहित पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं के बीच इस बात को लेकर चर्चा की गई है।

बताया जा रहा है कि प्रदेश सह प्रभारियों को भी कहा गया है कि ये महिला दावेदारों वाली सीटों पर दोबारा मंथन कर रिपोर्ट देंवे। साथ ही स्क्रीनिंग कमेटी से भी महिला दावेदारों की अलग से लिस्ट तैयार करने को कहा गया है।

पिछले दो चुनावों में 23-24 का औसत

कांग्रेस से महिलाओं को टिकट देने के मामले में पिछले दो विधानसभा चुनाव पर नजर डाली जाए तो 23-24 का औसत सामने आता है। वर्ष-2008 में कांग्रेस ने 23 और वर्ष-2013 में 24 महिलाओं को प्रत्याशी बनाया था।

वर्ष-2008 में 23 में से 13 महिला प्रत्याशी विधायक बनी थीं। जिनमें गंगादेवी, रीटा चौधरी, परम नवदीप कौर, बीना काक, ममता भूपेश, नसीम अख्तर, जकिया, सज्जन कटारा, कान्ता गरासिया, मंजू मेघवाल, निर्मला गरासिया, गंगादेवी गरासिया व जाहिदा विधायक चुनी गईं थीं। जबकि वर्ष-2013 में 24 प्रत्याशियों में से सिर्फ शकुंतला रावत ही विजय रहीं थीं, शेष 23 महिला प्रत्याशी चुनाव हार गईं थीं।

छह बनाए गए ब्लॉक अध्यक्ष

करीब चार महीने पहले कांग्रेस की ओर से प्रदेश की 200 विधानसभा सीटों पर 400 ब्लॉक अध्यक्षों की घोषणा की गई थी। जिसमें सिर्फ छह महिलाओं को ही ब्लॉक अध्यक्ष बनाया गया था। पार्टी नेताओं के इस रवैये से महिला नेताओं में खासी नाराजगी देखी गई थी।

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