क्या तेज धूप कोरोना के कहर को थाम सकती है ? पढ़कर जान लीजिए….

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चीनी वैज्ञानिकों ने भी माना है (कोविड-19) की प्रतिरोध शक्ति अत्यधिक तापमान को बर्दाश्त नहीं कर सकती

बीकानेर/नई दिल्ली। गर्मियों में तेज धूप और बढ़ता तापमान भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के प्रसार पर लगाम लगा सकती है? देश के दो हाई प्रोफाइल माइक्रोबॉयोलॉजिस्ट ने इस बारे में जानकारी दी है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इन दो माइक्रोबॉयोलॉजिस्ट ने अमेरिका स्थित दुनिया की सबसे बड़ी बायोमेडिकल रिसर्च एजेंसी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (एनआईएच) के साथ काम किया है। इन सुक्ष्म जीववैज्ञानिकों ने कहा है कि गर्मियों के दौरान बढ़ता पारा कोरोना प्रसार की उस दर में बदलाव ला सकता है, जिस दर पर घातक कोविड-19 लोगों को संक्रमित करता है।

एनआईएच और ‘प्रोजेक्ट एंथ्रेक्स’ पर अमेरिकी सेना की लैब के साथ काम कर चुके जाने-माने भारतीय माइक्रोबायोलॉजिस्ट प्रोफेसर वाई. सिंह के अनुसार अप्रेल के अंत तक 40 डिग्री से ज्यादा का अपेक्षित तापमान कोरोवायरस के प्रभाव को कम कर सकता है। तापमान में वृद्धि वायरस के प्रसार की दर को बदल सकती है, जो किसी भी सतह या एरोसोल के माध्यम से इंसानों में ट्रांसफर हो जाती है। तापमान ज्यादा होने पर किसी भी सतह पर वायरस के जीवित रहने की अवधि कम होगी, लेकिन यह भी स्पष्ट करना जरूरी है कि अगर एक व्यक्ति का शरीर संक्रमित है तो फिर बाहर के तापमान का संक्रमित व्यक्ति पर कोई प्रभाव नहीं होगा।

अमेरिका के प्रसिद्ध संक्रामक रोग विशेषज्ञ एंथनी फौसी के साथ काम कर चुके प्रख्यात वायरोलॉजिस्ट डॉ. अखिल सी बनर्जी के अनुसार अगर तापमान 39 या 40 डिग्री के आसपास है तो यह वायरस को निष्क्रिय करने में मदद करता है। अगर कोई भी व्यक्ति एक कोरोना रोगी के बहुत करीब खड़ा है तो उसे वायरस के जोखिम का खतरा हो सकता है। तापमान एक भूमिका निभाता है, लेकिन फिर भी विज्ञान में हर निष्कर्ष पर, हर अध्ययन डेटा पर आधारित होना चाहिए। इस विषय पर और अधिक डेटा की आवश्यकता है।

एसोसिएशन ऑफ माइक्रोबायोलॉजिस्ट ऑफ इंडिया (एएमआई) के पूर्व महासचिव प्रोफेसर प्रत्यूष शुक्ला के अनुसार कुछ वैज्ञानिक जून सिद्धांत के बारे में बात कर रहे हैं, जो स्पष्ट रूप से तापमान में वृद्धि से संबंधित है। कुछ चीनी सहयोगियों से हुई बात में ये बात सामने आई है कि इसकी (कोविड-19) प्रतिरोध शक्ति अत्यधिक तापमान को बर्दाश्त नहीं कर सकती है। आमतौर पर सार्स या फ्लू सहित सभी प्रकार के वायरस का अक्टूबर से मार्च तक अधिकतम प्रभाव होता है। इसका कारण यह है कि तापमान वायरस के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

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