उदयपुर में स्थापित है ऐतिहासिक मंदिर
उधार रुपए देने की परम्परा का आज भी होता है निर्वाह
बीकानेर। प्रदेश में विघ्नहर्ता भगवान गणेशजी के बहुत से मंदिर हैं जो विशेष महत्व के लिए पहचान रखते हैं। ऐसा ही एक मंदिर उदयपुर में स्थापित है जिसे बोहरा गणेशजी मंदिर के नाम से पहचाना जाता है।
जिस प्रकार रणथंबोर स्थित गणेश मंदिर, जयपुर में मोती डूंगरी गणेश मंदिर और बीकानेर में बड़े गणेशजी और इक्किसया गणेशजी मंदिर विशेष महत्व के लिए पहचाने जाते हैं, उसी तरह ही उदयपुर में बोहरा गणेशजी की बड़ी मान्यता है। यहां जरुरत पडऩे पर वह गणेशजी से अपनी मनोकामना के साथ उनसे पैसा भी उधार लेते हैं, जो ब्याज के साथ मनोकामना पूरी होने के साथ ही लौटाई जाती है। इसी परम्परा के चलते साढ़े तीन सौ साल से वह बोहरा गणेशजी ही कहलाते आ रहे हैं।
बोहरा गणेशजी मंदिर में एक साथ दो प्रतिमाएं विराजित हैं। मुख्य प्रतिमा सामने की ओर देखते हुए नृत्य मुद्रा में है, जबकि दूसरी छोटी प्रतिमा बांयी ओर विराजित है। कहा जाता है कि छोटी प्रतिमा भगवान गणेशजी के लेन-देन का ब्यौरा रखते हैं, यानी उनके अकाउंटेंट हैं। पहले यहां से लोगों को उनके आवश्यक काम के लिए उनकी मांग के अनुसार पैसा मिला करता था, किन्तु अब सांकेतिक रूप से पैसा मिलता है।
आठ दशक पहले यहां से उधार लेकर गए एक व्यक्ति ने पैसा नहीं लौटाया और इसके बाद पूरा पैसा उधार देने की परम्परा थम गई।
मंदिर के पुजारी गणेश शर्मा के अनुसार अब लोगों को सांकेतिक मुद्रा के तहत पैसा दिया जाता है, जो एक रुपए के सिक्के से लेकर सौ रुपए तक होता है। जिस व्यक्ति का कोई काम आर्थिक तंगी से धीमा पड़ जाता है या रूका हुआ हो, वह यहां से सांकेतिम मुद्रा उधार में ले जाता है और काम पूरा होने के बाद अपनी मंशा के अनुसार भगवान के समक्ष समर्पित कर देता है। मान्यता है कि यहां से उधार लिया गया सिक्का अपनी तिजोरी या जहां पैसा रखते हैं, वहां रख लिया जाता है तो उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है। ज्यादातर लोग बेटी के विवाह से पहले यहां से पैसा उधार ले जाते हंै और शादी संपन्न होने के बाद यहीं भोग लगाते हैं।
कोरोना काल की वजह से इन दिनों मंदिर में लोगों को प्रवेश नहीं दिया जा रहा। हालांकि यहां ऐसा कोई दिन नहींए, जब यहां भोज नहीं होता। परम्परा के अनुसार यहां भोज आयोजित करने वालों को टेंट तथा बर्तनों का खर्चा नहीं देना होता है। आज भी परम्परा के अनुसार यहां टेंट तथा बर्तन निशुल्क मिलते हैं। लोग यहां भोज कराने के बाद अपनी श्रद्धा के अनुसार भगवान को पैसा समर्पित करते हैं। इतिहास के अनुसार बोहरा गणेशजी मंदिर का निर्माण उदयपुर शहर की स्थापना दिवस से पहले तत्कालीन महाराणा मोखलसिंह ने कराया था।
#Kamal kant sharma/Bhawani joshi www.newsfastweb.com