निकाय चुनाव : गिने-चुने समर्थकों के साथ नजर आ रहे हैं पार्षद प्रत्याशी

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निकाय च़ुनाव

चुनावी माहौल से दूर हुआ आमजन का रूझान, सिर्फ वोट देने से ही रहा है मतलब

बीकानेर। नगर निकाय च़ुनाव में इस बार वार्डों में चुनावी रंगत फीकी नजर आ रही है। आमजन इस बार चुनावी प्रचार में किसी तरह से तवज्जो नहीं देता दिखाई पड़ रहा है। शहर के भीतरी इलाके में भी इस बार चुनावी रंगत परवान नहीं चढ़ सकी है।

चाहे लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा चुनाव, या फिर नगर निकाय चुनाव, शहर के लोग हर चुनाव का आनंद बड़े ही चाव से लेते हैं। वोटिंग से पहले कई दिनों तक लोग चुनावी रंगत में रंगे रहते हैं लेकिन इस बार नगर निकाय चुनाव में चुनावी रंगत पूरी तरह से फीकी नजर आ रही है। न्यूजफास्ट वेब संवाददाता शहर के कई वार्डों में पहुंचे और चुनावी माहौल पर नजर डाली तो उन्होंने पाया कि इस बार चुनाव के प्रति लोगों का रूझान काफी कम दिखाई दिया।

इस दौरान कई इलाकों में वार्ड वासियों से बातचीत भी की गई। वार्डवासियों का कहना था कि इन चुनावों से कोई फायदा नहीं है, किसी समस्या के समाधान के लिए न तो पार्षद सुनता है और न ही नगर निगम के अधिकारी। ऐसे में आमजन को तो परेशानी झेलनी ही होती है, फिर चुनाव में पार्षद प्रत्याशियों के पीछे घूमने का क्या फायदा। वहीं कई लोगों ने यह भी कहा कि वोट डालना है, डाल देंगे। चुनाव प्रचार से हमें क्या लेेना-देना। क्योंकि सभी पार्टियां अपने-अपने दावे करती हैं और चुनाव के बाद सब भूला दिया जाता है। शहर के सभी इलाकों में रोडलाइट, सड़कें, नालियां, सफाई आदि से जुड़ी अनगिनत समस्याएं हैं, जो पार्षद पहले थे, उन्होंने भी इन्हें निस्तारित नहीं करवाया, जो अब नए पार्षद आएंगे तो वो कौनसा निहाल करेंगे।

राजनीति से जुड़े लोगों ने न्यूजफास्ट वेब को बताया कि इस बार ज्यादातर वार्डों में चुनाव कार्यालय कम खोले जा रहे हैं। जो पार्षद के प्रत्याशी हैं वे चुनाव में रूपए खर्च ही नहीं करना चाहते हैं। इसलिए जो कार्यकर्ता हैं, वे राजनीतिक कार्य से दूर दिखाई दे रहे हैं। वहीं राजनैतिक पार्टियों के कार्यकर्ता टिकट बंटवारे को लेकर भी नाराज हैं, जिसकी वजह से वे चुनाव प्रचार और प्रक्रिया से दूर हैं। यही वजह है कि ज्यादातर पार्षद प्रत्याशी या तो अकेले या फिर दो-तीन परिजनों के साथ ही अपने क्षेत्र में जनसम्पर्क करते नजर आ रहे हैं।

Kamal kant sharma newsfastweb.com

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