प्रदेश की करीब सभी जाति, वर्ग को दिया प्रतिनिधित्व
अभी भी कई समाजों से उठाई जा रही है प्रतिनिधित्व देने की मांग
बीकानेर। इस बार राजस्थान पर कौन सी पार्टी सत्ता पर काबिज होगी इसका फैसला 3 दिसंबर को हो जाएगा। बीजेपी ने तीन दिनों पहले कुल 83 उम्मीदवारों की दूसरी सूची को जारी किया है जिसमें 10 महिला, 15 एससी और 10 एसटी को टिकट मिला है। अगर कुल सीटों की बात करें तो करीब 5 फीसद महिलाएं, 5 फीसद एसटी और करीब 12.5 फीसद अनुसूचित जाति के उम्नीदवारों पर पार्टी ने भरोसा दिखाया है। अगर जातीय समीकरण पर ध्यान दें तो पार्टी ने सभी समाज को साधने की कोशिश की है।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार प्रदेश में विधानसभा की कुल 200 सीट है। 89 फीसद आबादी हिंदू, 9 फीसद मुसलमान, एससी 18, एसटी 13, जाटों की आबादी 12 फीसद, गुर्जर राजपूतों की आबादी 9.9 फीसद, ब्राह्मण मीना की आबादी 7.7 फीसद है।
ये कह रहे हैं जानकार
जानकारों का कहना है कि प्रदेश की राजनीतिक जमीन को देखें तो यहां भी दूसरे हिंदी प्रदेशों की तरह जातियों का बोलबाला रहा है। यानी कि कोई भी दल लीक से हटकर यूं कहें कि जाति के चक्र से बाहर निकलने का साहस नहीं दिखाया है। सवाल यह भी है कि जब सरकार बनाने के लिए संख्या बल की जरूरत हो तो वैसे में क्या अलग किस्म का प्रयोग करना चाहिए। इस सवाल पर अलग अलग राय हो सकती है लेकिन राजनीतिक दलों की कोशिश होती है कि प्रत्याशियों का चयन इस तरह से हो ताकि जीत का आंकड़ा उनके पक्ष में रहे।
बीजेपी की सूची को अगर गौर से देखें तो महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व देने की कोशिश की गई है। पीएम नरेंद्र मोदी भी बार-बार जनसभाओं में कहते रहे हैं कि बीजेपी के लिए महिला शक्ति के मायने क्या हैं। इसके साथ ही जिस तरह से छत्तीसगढ़ में पीएम ने एक बार कहा था कि उनके लिए तो सबसे बड़ी जाति गरीबी और समाज का शोषित वंचित तबका है। बीजेपी की सूची में उनकी कही बात की झलक भी साफ तौर पर दिखाई दे रही है।
#KAMAL KANT SHARMA / BHAWANI JOSHI www.newsfastweb.com