सियासी समर में एक बार फिर ‘जिंदा’ हो गईं भंवरी देवी

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भंवरी देवी

जयपुर/बीकानेर। प्रदेश में चुनावी गहमागहमी बढऩे के साथ आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी तीखा होता जा रहा है। पुराने मुद्दे फिर से सियासी जुबान पर उछलने लगे हैं। इस कड़ी में 2011 में प्रदेश की राजनीति को हिलाकर रख देने वाला भंवरी देवी हत्याकांड का मामला एक बार फिर से सुर्खियों में आ गया है।

ऐसा इसलिए क्योंकि इस हत्याकांड के आरोपी और पूर्व मंत्री महिपाल मदेरणा और कांग्रेस विधायक रहे मलखान सिंह विश्नोई के परिजनों को कांग्रेस ने एक बार फिर से अपना प्रत्याशी बना कर चुनाव मैदान में उतार दिया है। इसके साथ ही खासकर मारवाड़ (जोधपुर डिवीजन) के चुनावी समर में भंवरी देवी का मुद्दा फिर से उछलने लगा है।

कांग्रेस ने पूर्ववर्ती अशोक गहलोत की सरकार में जल संसाधन मंत्री रहे महिपाल मदेरणा की बेटी दिव्या मदेरणा को ओसियां और कांग्रेस विधायक रहे मलखान सिंह विश्नोई के बेटे महेंद्र विश्नोई को लूनी विधानसभा से टिकट दिया है।

इसके साथ ही सोशल मीडिया पर इस मुद्दे पर बहस शुरू हो गई है। दरअसल, इन नेताओं का जाट और विश्नोई समुदाय से संबंधित सीटों पर खासा प्रभाव रहा है। संभवतया इसी कारण ही इनके परिजनों को टिकट दिया गया है।

मिडवाइफ भंवरी देवी की 2011 में अपहरण के बाद हत्या कर दी गई थी। उस चर्चित हत्याकांड के कारण प्रदेश की सत्ता में सियासी तूफान आने के बाद मामले की सीबीआई जांच कराई गई थी। उसके बाद महिपाल मदेरणा और मलखान सिंह विश्नोई को गिरफ्तार किया गया था।

इस हत्याकांड का असर वर्ष-2013 के चुनाव में भी देखने को मिला था। कांग्रेस को भारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था। उस चुनाव में महिपाल मदेरणा की पत्नी लीला मदेरणा और मलखान सिंह विश्नोई की मां अमरी देवी को कांग्रेस ने टिकट दिया था। लेकिन उनको भी हार का सामना करना पड़ा था।

 

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