संयुक्त संघर्ष समिति की सरकार व कॉलेज प्रशासन को चेतावनी
उच्च न्यायालय के आदेश के विरूद्ध सर्वोच्च न्यायालय जाने की तैयारी में गहलोत सरकार
बीकानेर। इंजीनियरिंग कॉलेज में 18 अशैक्षणिक कर्मचारियों को पुन: नियुक्ति देने के उच्च न्यायालय के आदेश की पालना करने की मांग को लेकर कलेक्टर कार्यालय के सामने पिछले 43 दिनों से दिया जा रहा था धरना व क्रमिक अनशन आज हाई कोर्ट के आदेश के बाद स्थगित कर दिया गया। साथ ही सरकार व इंजीनियरिंग कॉलेज प्रशासन को चेतावनी दी गई अगर निष्कासित 18 कर्मचारियों को हाई कोर्ट के आदेशानुसार बकाया वेतन का भुगतान नहीं किया गया तो धरना व अनशन दोबारा बड़े पैमाने पर किया जाएगा।
धरने व क्रमिक अनशन का नेतृत्व कर रहे भाजपा नेता महावीर रांका ने बताया कि आज उच्च न्यायालय में अवमानना की सुनवाई हुई जिसमें माननीय उच्च न्यायालय ने इस बात को दोहराया कि कर्मचारियों का निष्कासन करने के आदेश पारित करने के दौरान इंजीनियरिंग कॉलेज द्वारा प्राकृतिक न्याय के सिद्धान्त का खुला उल्लंघन किया गया। उन्होंने बताया कि हाई कोर्ट द्वारा कॉलेज प्रशासन व राज्य सरकार को इस प्रकरण में सभी याचिकाकर्ताओं को मार्च,2023 तक के वेतन का भुगतान 7 अप्रेल तक करने के आदेश प्रदान किए हैं। साथ ही हाई कोर्ट ने यह भी निर्देशित किया है कि अगर याचिकाकर्ताओं को वेतन का भुगतान नहीं किया जाता है तो ऐसी स्थिति में कॉलेज प्राचार्य डॉ. मनोज कूरी को व्यक्तिगत रूप से न्यायालय में उपस्थित होना होगा। उक्त प्रकरण की आगामी सुनवाई 27 अप्रेल को होना निर्धारित है।
उन्होंने बताया कि माननीय उच्च न्यायालय ने इंजीनियरिंग कॉलेज से निष्कासित 18 अशैक्षणिक कार्मिकों को राहत प्रदान करते हुए वेतन भुगतान करने के आदेश दिए हैं, इसलिए छह फरवरी से आज तक चल रहा धरना व क्रमिक अनशन स्थगित किया गया है। सर्वोच्च न्यायालय के किसी प्रकार के आदेश अगर राज्य सरकार नहीं लाती है तो हाई कोर्ट के आदेश की मांग को लेकर फिर से आन्दोलन बड़े पैमाने पर किया जाएगा।
रांका ने बताया कि राज्य सरकार के महाधिवक्ता की ओर से माननीय उच्च न्यायालय में आज कहा गया कि राज्य सरकार ने खण्डपीठ के उक्त आदेश के विरूद्ध सर्वोच्च न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका दायर करने का निर्णय किया है।
#KAMAL KANT SHARMA / BHAWANI JOSHI www.newsfastweb.com