आखिर कामयाब हुई राजनीति, घोल दिया जातिवाद का जहर

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file photo

स्वार्थपरक राजनीति ने आखिरकार शहर की फिजां को दुषित कर ही दिया है। भाईचारे को लेकर अलग पहचान रखने वाले शहर में जातिवाद का इतना जहर घोल दिया गया है कि अब अपने ही अपनों को मटियामेट करने मेें नजर आने लगे हैं। सोमवार रात को डॉ. बीडी कल्ला के साथ हुआ आमजन का व्यवहार, शायद इसी का पहला कदम समझा जा सकता है।

बीकानेर। देश भर में राजनीति का स्तर इन दिनों पाताल में पहुंचा नजर आ रहा है। नेता लोग अपने स्वार्थ और सत्ता सुख के लिए आमजन में जाति, धर्म के नाम पर जहर घोल रहे हैं। दिन-प्रतिदिन बढ़ रहे वैमनस्य ने आपसी प्रेम और भाईचारे को खत्म सा कर दिया है।

गौरतलब है कि सोमवार रात को बीकानेर पश्चिम विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के प्रत्याशी डॉ. बीडी कल्ला के साथ माली समाज के सामूहिक विवाह समारोह में जो कुछ भी हुआ वह आज के परिवेश में उचित नहीं माना जा सकता है।

ये बात सही है कि समाज के लोगों में अपने नेता के प्रति अगाढ़ प्रेम है, लेकिन किसी के साथ हाथापाई करना ये सही नहीं माना जा सकता है। इस बात को ऐसे भी समझा जा सकता है कि यशपाल गहलोत का टिकट काटने वाले और डॉ. कल्ला को टिकट देने वाले पार्टी के पदाधिकारी थे, विरोध उनका होना चाहिए, पार्टी का होना चाहिए, लेकिन हमारे शहर में जाये-जन्मे शख्स के साथ ऐसा व्यवहार होना, कहीं ना कहीं हमें ही लज्जित करता है।

पिछले तीन-चार दिनों में हुए विभिन्न प्रदर्शनों पर नजर डाले तो अहसास होता है कि इन विरोध प्रदर्शनों से नुकसान या परेशानी तो हमारे अपने शहरवासियों को ही हुई है।

पहले डॉ. कल्ला के समर्थकों ने रास्ता रोका, ट्रेन रोकी, टायर फूंके, फिर रामेश्वर डूडी के समर्थकों ने अम्बेडकर सर्किल पर टायर फूंक कर रास्ता रोका, फिर यशपाल गहलोत के समर्थकों ने गोगागेट पर और रात को जस्सूसर गेट क्षेत्र में जो किया, उससे नुकसान और परेशानी शहरवासियों को ही उठानी पड़ी है।

शहर के जागरूक लोग उम्मीद करते हैं कि सरकारें आती-जाती रहेंगी लेकिन जो हमारे बीच के लोग हैं, हमारे शहर के हैं, हमारे अपने है, उनसे वैचारिक मतभेद हो सकता है लेकिन मनभेद नहीं होना चाहिए। विरोध भी जनतांत्रिक तरीके से हो, किसी को शारीरिक, मानसिक, आर्थिक क्षति नहीं होनी चाहिए।

 

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