प्रशासन के ‘पास’ ने खड़े किए सवाल, देखें वीडियो…

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‘पास’ का राजनीतिकरण करने पर रोष

बीकानेर। शहर में प्रशासन दोहरी नीती पर कार्य करता नजर आ रहा है। एक तरफ तो एडीएम के हस्ताक्षर वाले ‘पास’ को नहीं माना जा रहा है, वहीं डीएसओ के साइन वाले ‘पास’ को पूरी मान्यता दी जा रही है। कुछ प्रशासनिक अधिकारियों पर राजनीतिक रसूखदारों को लॉकडाउन और कफ्र्यू के दौरान सहुलियत देने के आरोप लगे हैं।

भाजपा नेताओं ने शहर की एकमात्र संस्थान को प्रशासनिक हस्ताक्षर वाले ‘पास’ जारी करने पर अपना रोष जताते हुए जिला मजिस्ट्रेट से इसकी शिकायत की है। भाजपा नेता अखिलेशप्रतापसिंह, सत्यप्रकाश आचार्य, मोहन सुराणा, भगवानसिंह मेड़तिया ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया को इस पूरे मामले से अवगत कराया गया है। भाजपा नेताओं का कहना है कि संकट के इस काल में शहर की कई संस्थाएं सेवा कार्य में जुटी हुई हैं लेकिन प्रशासन की ओर से इस प्रकार एक संस्था को महत्व देने को उचित नहीं माना जा सकता है। डीएसओ यशवंत भाकर पर राजनीतिक रसूखदारों को सहूलियत देने के आरोप लगाए गए हैं।

शुक्रवार को जमादार एकता समिति की ओर से जिला मजिस्ट्रेट को ज्ञापन देकर नगर निगम कर्मचारियों के साथ अभद्र व्यवहार किए जाने की शिकायत भी की गई थी। जिसमें समिति के पदाधिकारियों ने जिला मजिस्ट्रेट को अवगत कराया था कि नगर निगम कर्मचारियों के पास एडीएम के हस्ताक्षर किया गया अनुमति पत्र (पास) है, इसके बावजूद पुलिसकर्मियों ने उनके साथ अभद्रता की। वहीं दूसरी तरफ डीएसओ यशवंत भाकर के हस्ताक्षर कर राजनीतिक रसूखदारों के संगठन को दिए गए अनुमति पत्र (पास) के जरिए बहुत से लोग शहर भर में मनमाफिक क्षेत्रों में मौजूद रहते नजर आ रहे हैं। शहर के जागरूक लोगों ने प्रशासन के इस रवैये को दोहरी नीति करार देते हुए ‘जिसकी लाठी उसकी भैंस’ मुहावरे की संज्ञा दी है। भाजपा नेताओं की ओर से ऐसे प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग की है।

राहत सामग्री पर प्रचार का विरोध
लॉकडाउन और कफ्र्यू के दौरान जहां शहर में सभी व्यवसायिक प्रतिष्ठान बंद हैं और आमजनता घरों में है, ऐसे में शहर के कई क्षेत्रों में प्रशासन और भामाशाहों की ओर से राशन सामग्री वितरण के दौरान दी जा रही किट पर राजनेताओं के प्रचार को लेकर अब प्रशासन पर भी सवाल खड़े होने लगे हैं। कई नेताओं का आरोप है कि लॉकडाउन के बावजूद इस तरह राशन सामग्री पर किए जाने वाला प्रचार राजनीतिकरण से प्रेरित है, जिसे सेवा के रूप में उचित नहीं माना जा सकता है।

Kamal kant sharma and Bhawani joshi newsfastweb.com

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