खुलेआम बिक रही गर्भ में हत्या की दवा, जिम्मेदार मौन

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गर्भ में हत्या
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मनमाने दाम पर बिना डॉक्टर की सलाह पर बेची जा रही दवाएं, महिलाओं की जान से किया जा रहा खिलवाड़

बीकानेर। शासन और प्रशासन भले ही भ्रूण हत्या पर अंकुश लगाने के दावे कर रहे हों, लेकिन जमीनी हकीकत ये है कि चिकित्सक की बिना पर्ची के खुलेआम गर्भ में हत्या की टेबलेट बेची जा रही है।

शहर दर्जनों मेडिकल स्टोर संचालक पैसों के लालच में लोगों की जान से खिलवाड़ करने से भी नहीं चूक रहे हैं। हैरानी की बात तो यह है कि चिकित्सक की पर्ची के बगैर ही गर्भपात की गोलियां बेची जा रही हैं। कहने को तो यहां ड्रग कन्ट्रोलर और ड्रग इंस्पेक्टर भी हैं लेकिन आज तक गर्भ में हत्या की गोलियां बेचने वालों के खिलाफ कार्रवाई होती कभी नजर नहीं आई है।

इस प्रकार की दवाइयों की बिक्री को लेकर शहर में विचित्र स्थिति है। न्यूजफास्ट वेब को मिली जानकारी के अनुसार गर्भ में हत्या की गोलियां हो या नशीली दवाई, इन्हेंं चिकित्सक की पर्ची के बिना बेचा जाना प्रतिबंधित है। फिर भी ऐसी दवाइयां मेडिकल स्टोर पर बेची जा रही हैं।

जानकारी के मुताबिक इन दवाइयों के मनमाने दाम वसूले जा रहे हैं। ये दवाई कब लेनी है, कैसे लेनी है, ये सलाह भी मेडिकल स्टोर संचालक या उनकी दुकान पर काम करने वाले कर्मचारी दे रहे हैं। न्यूजफास्ट वेब रिपोर्टर की ओर से इस बारे में पड़ताल की गई तो सामने आया कि शहर में दर्जनों ऐसे मेडिकल स्टोर हैं जिन पर मनमाने दामों में ऐसी दवाइयां बेची जा रही है। जन्म से पहले ही गर्भ में मौत की नींद सुलाने का खेल खुलेआम खेला जा रहा है।

मेडिकल स्टोर के संचालक और कुछ दवा कंपनियों से जुड़े लोग इसमें शामिल हैं, ऐसी बात सामने आई है। इस पर निगरानी रखने के लिए नियुक्त अधिकारी इस काले कारोबार से जुड़े लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने की बजाय चैन की नींद सोते लग रहे हैं। newsfast web.com

बताया जा रहा है कि इस प्रकार की दवाइयों का उपयोग ज्यादातर प्रेमी युगल तथा ऐसे लोग कर रहे हैं जिनके पहले से संतान है और वे अब संतान की चाहत नहीं रख रहे हैं। इसमें समाज का सभ्रांत वर्ग भी शामिल है। ऐसा भी नहीं है कि इस सारे मामले की जानकारी चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों को नहीं है लेकिन कार्रवाई कभी होती नहीं दिखाई दी है। अब मेडिकल स्टोर संचालक, दवा कंपनियों से जुड़े कुछ लोग और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

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