पोस्टल बैलेट में ही हो गया था ‘बड़ा खेला’

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A big game was played in the postal ballot itself.

सरकारी कर्मचारियों का भी नहीं मिला अशोक गहलोत को साथ

नहीं चला गहलोत का ओपीएस का ब्रह्मास्त्र

बीकानेर। प्रदेश में चुनाव परिणामों में एक नया रुझान देखने को मिला है। पोस्टल बैलेट की जो गणना की गई है, उसमें अलग तरह के रुझान सामने आए। पोस्टल बैलेट में सभी सरकारी कर्मचारी होते हैं। ऐसे में गहलोत सरकार को ओपीएस के ब्रह्मास्त्र से जीत की उम्मीद थी, लेकिन यह ब्रह्मास्त्र भी पूरी तरह से विफल रहा है।


मतगणना की गिनती पोस्टल बैलेट के साथ शुरू होती है। मतगणना के दिन सुबह 8 बजे से लेकर साढ़े आठ बजे तक आधे घंटे के लिए केवल पोस्टल बैलेट की गिनती की जाती है और माना यह जाता है कि पोस्टल बैलेट का पहला रुझान परिणाम की झलक दिखाने वाला होता है। लेकिन वास्तव में इस बार के चुनाव परिणामों में यह बात गलत साबित हुई है। जानकारी के अनुसार प्रदेश की कई विधानसभा सीटों में पोस्टल बैलेट ने उलटे परिणाम दिए हैं। यानी जो प्रत्याशी पोस्टल बैलेट के रुझान में आगे दिख रहा था, अंतिम परिणाम आते-आते उस प्रत्याशी को हार झेलनी पड़ी है।


दरअसल, पोस्टल बैलेट सरकारी कर्मचारियों से भरवाए जाते हैं, जो ड्यूटी पर होते हैं। या फिर सेना में राज्य की सीमा से बाहर पदस्थापित जवानों से डाक मतपत्र भरवाए जाते हैं। इस बार निर्वाचन आयोग की तरफ से दिव्यांग मतदाताओं और 80 वर्ष के मतदाताओं की ओर से आवेदन भरे जाने के बाद उनके घरों पर मतदान लिए जाने की व्यवस्था की गई थी। ऐसे में प्रदेश में बहुत से विधानसभा क्षेत्रों में जब मतगणना शुरू हुई तो कई प्रत्याशी पोस्टल बैलेट में बढ़त बना चुके थे लेकिन जैसे जैसे ईवीएम खुलने लगी वे पिछड़ते चले गए और अंतिम परिणाम तक पहुंच कर पराजित हो गए।


राजनीतिक पंडितों के अनुसार ज्यादातर विधानसभा क्षेत्रों भाजपा प्रत्याशियों को पोस्टल बैलेट अधिक मिले बताए गए हैं। जिसके बाद यह माना जा रहा है कि अशोक गहलोत सरकार का ओपीएस का ब्रह्मास्त्र भी पूरी तरह से विफल रहा।

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